देहरादूनः प्रदेश में प्राकृतिक आपदा, राहत और बचाव कार्य समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुलाकात की. प्रतिनिधिमण्डल में सदस्य एनडीएमए राजेन्द्र सिंह, संयुक्त सचिव एनडीएमए रमेश कुमार एवं संयुक्त सलाहकार एनडीएमए नवल प्रकाश मौजूद रहे. आपदा मित्र में प्रदेश के दो मैदानी जिलों हरिद्वार और उधम सिंह नगर को शामिल किया गया है. वार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में फाॅरेस्ट फायर और लैंड स्लाइड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से अधिक नुकसान होता है.
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन के तहत बनायी जाने वाली योजनाओं में वनाग्नि जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में राहत कार्य पहुंचाना भी एक चुनौती है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से युवा मंगल दलों एवं महिला मंगल दलों को आपदा की परिस्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. साथ ही प्रतिनिधिमण्डल से एनडीएमए द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘आपदा मित्र‘ के प्रशिक्षण में ट्राॅमा ट्रेनिंग प्रशिक्षणों को शामिल करने की बात कही है.
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यही नहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबन्धन हेतु बनायी गयी योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों में मैदानी क्षेत्रों के अनुसार योजनाएं बनायी जाती रही हैं. परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप एवं प्रभाव मैदानी क्षेत्रों से भिन्न है. ऐसे में अब योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों को बनाते समय पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप योजनाओं को भी शामिल किया जाए. क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर मकान मिट्टी और पठालों से बनाए जाते हैं. जिसे आपदा की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मकानों को कच्चा मकान कहा जाता है, इससे आपदा प्रभावितों को काफी कम आर्थिक मदद प्राप्त होती है. लिहाजा पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार के मकानों को पक्के मकानों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए.
वहीं, एनडीएमए के सदस्य राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में देशभर में ‘आपदा मित्र‘ योजना शुरू की गयी है. इस योजना के तहत आपदा मित्रों को 12 से 15 दिन का बचाव एवं राहत कार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस योजना के तहत देश के 350 जनपदों में लगभग एक लाख आपदा मित्र तैयार करने की योजना है. जिसमें उत्तराखंड के 2 जिले हरिद्वार एवं उधम सिंह नगर शामिल हैं. साथ ही बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा विभिन्न राज्यों में शेल्टर बनाए जा रहे हैं. यदि राज्य सरकार जमीन उपलब्ध करा दे तो उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद में आपदा से प्रभावित 3 हजार से 5 हजार लोगों के ठहरने हेतु शेल्टर बनाए जा सकते हैं.