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तीरथ सिंह रावत के बयान पर गरमाई सियासत, आप ने सरकार का फूंका पुतला

देहरादून में आप ने पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के बयान पर भाजपा सरकार का पुतला फूंका है. आप का कहना है कि भाजपा सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है. इस बात की पुष्टि तीरथ सिंह रावत ने अपने बयान में कर दी है.

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Published : Nov 16, 2022, 11:42 AM IST

देहरादूनःपूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयान के बाद आम आदमी पार्टी भाजपा सरकार पर आक्रामक हो गई है. इसी कड़ी में आप कार्यकर्ताओं ने आराघर चौक के समीप जोरदार नारेबाजी करते हुए राज्य सरकार का पुतला दहन (AAP workers burnt effigy of BJP government) किया. इस मौके पर गढ़वाल मीडिया प्रभारी रविंद्र आनंद (AAP Garhwal media incharge Ravindra Anand) ने कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है. इस बात की पुष्टि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने बयान में कर दी है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों के साथ-साथ सफेदपोश भी कमीशन ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भ्रष्टाचार को लेकर जो बात स्वीकार की है, वह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर्फ जुमले देना जानती है. इसलिए सबका साथ सबका विकास का नारा झूठा साबित हो रहा है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार का पर्दाफाश हो गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए.
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तीरथ सिंह रावत का बयानःदरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कहीं भी बिना परसेंटेज के काम नहीं होता है. उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भी इस बात को कहा था कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद हमें कमीशनखोरी को त्याग कर जीरो पर आना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि जब उत्तर प्रदेश के समय जीरो से लेकर 20 तक परसेंटेज आता था, तब जल निगम, जल संस्थान, पीडब्ल्यूडी विभाग में परसेंटेज की बात सुना करते थे.

उत्तराखंड बनने के बाद हमें कमीशन को लेकर जीरो होना चाहिए था, लेकिन इसके ठीक उलट उत्तर प्रदेश के समय जहां 20% कमीशन हुआ करता था, लेकिन उत्तराखंड में हमने 20% से शुरुआत की और यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हमें इस मानसिकता को बदलना होगा. इसके लिए अधिकारी और जनप्रतिनिधि को भी सोचना पड़ेगा. हम अधिकारियों को तो दंडित करते हैं, लेकिन उसके पीछे जनप्रतिनिधि बच जाता है. ऐसे में दोनों दोषी हैं.

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