देहरादून: भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती पर हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दूध सेवन को लेकर लोगों को जागरूक करना है. साथ ही यह संदेश पहुंचाना है कि दुग्ध उत्पादन युवाओं के लिए स्वरोजगार से जुड़ने का बेहतर जरिया भी है.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के मौके पर देहरादून स्थित आंचल दुग्ध संघ कार्यालय में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन को याद कर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया. साथ ही इस दौरान संघ की ओर से देहरादून जनपद की बैशाखी देवी को दुग्ध उत्पादन की क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए सम्मानित किया गया. बैशाखी देवी ने महज एक साल में आंचल दुग्ध संघ को 38,000 लीटर दूध देने का काम किया है, जिसके लिए उन्हें 1100 रुपए के चेक से सम्मानित किया गया.
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आंचल दुग्ध संघ के महाप्रबंधक मान सिंह पाल ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से आंचल दुग्ध संघ साल दर साल प्रदेश भर में अपनी अलग पहचान कायम कर रहा है. वर्तमान में आंचल दुग्ध संघ की ओर से आम उपभोक्ताओं के लिए कई नए मिल्क प्रोडक्ट्स बाजार में उतारे गए हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.
आखिर कौन है डॉ. वर्गीज कुरियन ?
डॉ. वर्गीज कुरियन को भारत में मिल्क मैन के नाम से भी जाना जाता है. उनका जन्म 21 नवंबर 1921 को केरल के कोझीकोड में हुआ था. मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. वर्गीज कुरियन ने डेयरी की दुनिया में कदम रखा. वहीं, साल 1949 में सरकार ने उन्हें गुजरात के आनंद में एक डेयरी में काम करने के लिए भेजा. जहां उन्होंने कैरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन के तहत मिल्क कोऑपरेटिव मूवमेंट की शुरुआत की, जिसे आज हम अमूल के नाम से जानते हैं.
बता दे कि डॉ. वर्गीज कुरियन को श्वेत क्रांति लाने के लिए भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. वहीं, उन्हें फ्रांस के कृषि मंत्रालय ने आर्डर ऑफ एग्रीकल्चर मेरिट से भी नवाजा है.