देहरादून: राजधानी देहरादून के कुछ रूटों पर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत इलेक्ट्रिक बसों ट्रायल किया जा रहा है. देहरादून शहर के ट्रांसपोर्ट को स्मार्ट और प्रदूषण रहित बनाने की दिशा में इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल किया जा रहा है, लेकिन आम आदमी सेना ने इलेक्ट्रिक बसों को सवाल खड़े किए है. उनका आरोप है कि देहरादून में जो इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं वो चाइना निर्मित हैं.
इलेक्ट्रिक बसों का आम आदमी सेना ने किया विरोध. आम आदमी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभात कुमार ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने चाइनिज कंपनियों को प्रदेश के विकास की योजनाओं से बाहर निकाल दिया है, जो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का स्वागत योग्य और सराहनीय कदम है. हालांकि उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार चीनी कंपनी से कोई काम नहीं लिए जाने की बात कर रही है तो दूसरी ओर चाइनीज कंपनी की इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जा रही हैं.
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उन्होंने कहा कि सरकार का कहना है कि चायना को उत्तराखंड के विकास योजना में कोई भागीदारी नहीं दी जाएगी और ना ही किसी चाइनीज कंपनी को टेंडर दिए जाने के अलावा उनसे कोई काम लिया जाएगा. बीजेपी शासित राज्यों की सरकार प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से प्रेरित होकर मेक इन इंडिया पर जोर दे रही है. बावजूद इसके देहरादून में स्वदेशी कंपनियों की इलेक्ट्रिक बसें नहीं चलाई जा रही है, जो चाइनीज कंपनी की तुलना में सस्ती है. देहरादून में जिस ओलिक्ट्रा ग्रीनटेक कंपनी की इलेक्ट्रिक बसें चल रही है उसका चाइना BYD ऑटो इंडस्ट्री कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर है. यदि सरकार चीन की कंपनी से कोई काम लेने की इच्छुक नहीं है तो फिर यह बसें समार्ट सिटी योजना के तहत क्यों खरीदी गई हैं? सरकार को इसका जवाब जनता को देना चाहिए.
बता दें कि बीती 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने देहरादून शहर के लिए इलेक्ट्रिक बस के ट्रायल का शुभारंभ किया था. देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत वित्तीय वर्ष में 30 नई इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होने जा रहा है, जिसका विरोध होना शुरू हो गया है.