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रहस्यों से भरा ये शिवमंदिर, दुनिया का एक मात्र पश्चिम दिशा के मुख्य द्वार वाला है देवस्थान

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में दुनिया का एक मात्र मंदिर स्थित है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर खुलता है. इस मंदिर को भीम ने अपने गदे से घुमाकर पूर्व से पश्चिम की ओर कर दिया था.

शिवमंदिर
शिवमंदिर

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Published : Jan 10, 2020, 11:09 AM IST

सहारनपुर: यूं तो दुनिया मे बहुत सारे मंदिर हैं, लेकिन सहारनपुर के बरसी गांव का शिवमंदिर दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है. जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर तीतरो इलाके के बरसी गांव में यह शिव मंदिर स्थित है.

रहस्यों से भरा शिवमंदिर.

यह मंदिर न सिर्फ महाभारत की याद दिलाता है, बल्कि यहां महाशिवरात्रि पर लाखों शिव भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां आते हैं. यहां हर सोमवार को भोले नाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रदालुओं का तांता लगा रहता है. भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक कर भगवान भोले नाथ को भांग धतुरा के साथ ही कद्दू-भेली भी प्रसाद के रूप चढ़ाते हैं.

इस मन्दिर की खास बात यह है कि इसका मुख्य द्वार पूर्व दिशा में न होकर पश्चिम दिशा में है. मान्यता है कि हिंदू धर्म में सभी मंदिरों के द्वार पूर्व दिशा में खुलते हैं, जबकि यह एक मात्र मन्दिर है जो पश्चिम की ओर खुलता है. मान्यता है कि इस शिव मंदिर को महभारत काल में दुर्योधन ने बनवाया था.

अज्ञातवास के दौरान पांडव पुत्र इस मन्दिर में आकर रुके थे. जब पांडवों को इस बात का पता चला कि कौरवों ने इस मंदिर का निर्माण कराया है, तो भीम ने शिव मंदिर के द्वार में गदा फंसाकर उसका मुंह पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया था. तभी से इस मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है.

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मान्यता यह भी है कि लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र जाते समय भगवान श्री कृष्ण भी यहां रुके थे. उस समय यहां का नजारा कृष्ण नगरी बृज जैसा था. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने इस जगह का नाम बरसी रख दिया. बरसी में एक खुदाई के दौरान मिले ईंट और पत्थर भी महाभारत काल की गवाही देते है.

जानकारों के मुताबिक यह पत्थर इस तरह का बना हुआ है जैसे महाभारत के रथों के पहियों में लगे लॉक होते थे. अब इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया है. यह शिव मंदिर वर्तमान में शिद्दपीठ मंदिरो में आता है, जिसके चलते यहां फाल्गुन महीने की शिवरात्रि पर एक भव्य मेले जाता है.

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