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नव पर्वतीय विकास संस्था ने दिया सांकेतिक धरना, सरकार से की आर्थिक मदद की मांग

देहरादून के गांधी पार्क में नव पर्वतीय विकास संस्था के कार्यकर्ताओं ने सरकार से कोरोनाकाल में जनता की आर्थिक सहायता करने को लेकर सांकेतिक धरना दिया. कार्यकर्ताओं ने चीन का झंडा जलाकर चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान किया.

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संस्था ने धरना देकर सरकार से मदद की लगाई गुहार.

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Published : Jul 1, 2020, 7:54 PM IST

देहरादून: राजधानी के गांधी पार्क में नव पर्वतीय विकास संस्था के कार्यकर्ताओं ने अपनी कुछ मांगों को लेकर सांकेतिक धरना दिया. इस दौरान संस्था के कार्यकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपना आक्रोश व्यक्त किया. सांकेतिक धरने के बाद कार्यकर्ताओं ने चीन का झंडा जलाकर चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान किया.

देहरादून के गांधी पार्क में नव पर्वतीय विकास संस्था के कार्यकर्ताओं ने जेल भरो आंदोलन के तहत चार महीने की स्कूल फीस और पानी, बिजली के बिल माफ किए जाने को लेकर सांकेतिक धरना दिया. वहीं धरने में संस्था के संरक्षक विनोद कुमार ने कहा कि कोरोना के चलते जनता की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा है. सभी व्यवसाय पूरी तरह ठप हैं. ऐसे में इस वैश्विक माहमारी के चलते प्रदेश की जनता की समस्याओं को लेकर सरकार से मांग की जा रही है. जिसमें जनता को राहत देने के लिए 4 महीने की स्कूल फीस माफ की जाए. साथ ही बिजली और पानी के बिल भी माफ किए जाएं.

संस्था ने धरना देकर सरकार से मदद की लगाई गुहार.

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उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी जनता को राहत देने के लिए सरकार पचास हजार रुपये बतौर आर्थिक सहायता प्रदान करे. इस संकट काल में उत्तराखंड सरकार जनता के मुद्दों को लेकर संवेदनहीन बनी हुई है. अगर त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड की जनता की पक्षधर है तो इन मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान किया जाए. इसके साथ ही नव पर्वतीय विकास संस्था के कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उत्तराखंड के मजदूरों का रजिस्ट्रेशन आंगनबाड़ी केंद्रों में किया जाए.

साथ ही लगातार बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की जाए. संस्था के कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि संस्था इन मुद्दों को लेकर किसी भी प्रकार से समझौता करने को तैयार नहीं है. अगर उत्तराखंड सरकार इन मुद्दों पर चर्चा नहीं करती है तो आने वाले समय में संस्था को मजबूरन बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

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