देहरादून:आगामी विधानसभा चुनाव-2022 के मद्देनजर मुख्य निर्वाचन अधिकारी एसए मुरूगेशन ने सभी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक में मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी प्रतिनिधियों को विधानसभा निर्वाचक नामावली का 1 जनवरी 2022 के आधार पर आगामी विशेष-संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम की जानकारी दी गई.
बैठक के दौरान पुनरीक्षण से पूर्व कार्यकलापों के तहत 9 अगस्त 2021 से 31 अक्टूबर 2021 तक डीएससी, एकाधिक प्रविष्टियों एवं लॉजीकल एरर को हटाना, अनुभागों का उचित गठन एवं मतदेय स्थलों का मानकीकरण के साथ ही दिनांक 1 सितंबर 2021 से 15 सितंबर 2021 तक बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन कार्य किया जाएगा. पुनरीक्षण कार्यकलाप के तहत 1 नवंबर 2021 को एकीकृत निर्वाचक नामावली का आलेख्य प्रकाशन 1 नवंबर 2011 से 30 नवंबर 2011 तक दावे एवं आपत्तियां प्रस्तुत करने की अवधि, 13, 14, 27, और 28 नवंबर 2021 को विशेष अभियान के लिए निर्धारित की गई है. दावे एवं आपत्तियों का निस्तारण 20 दिसंबर 2021 से और निर्वाचक नामवाली का अंतिम प्रकाशन दिनांक 5 जनवरी 2022 से किया जाएगा.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जो भारतीय नागरिक 1 जनवरी 2022 को 18 वर्ष या उससे अधिक की आयु पूर्ण कर रहा है, वह विधान सभा निर्वाचक नामावली में अपना नाम सम्मिलित करवाने के लिए उपरोक्त कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 1 नवंबर 2021 से 30 नवंबर 2021 मध्य प्रारूप -6 पर नियमानुसार अपना आवेदन संबंधित बीएलओ, तहसील/उप जिलाधिकारी कार्यालय या जिला निर्वाचन कार्यालय में प्रस्तुत कर सकता है. आयोग की वेबसाइट www.nvsp.in पर ऑनलाईन आवेदन करने की सुविधा भी उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार कोविड-19 के मद्देनजर 5 राज्यों में किसी भी मतदये स्थल पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1500 के स्थान पर 1200 तय की गई है. लिहाजा, वर्तमान में जिन मतदेय स्थलों पर मतदाताओं की संख्या 1200 से अधिक है, उन मतदेय स्थलों को विभाजित कर संबंधित मतदेय स्थल क्षेत्र के उपयुक्त शासकीय भवन में नया मतदेय स्थल बनाया किया जाएगा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जनसामान्य एवं मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राजनैतिक दलों से अनुरोध किया कि आयोग के उक्त दिशा-निर्देशों के क्रम में मतदेय स्थलों के संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन प्रस्ताव संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को 20 अगस्त 2021 से पहले उपलब्ध करा दे.
उन्होंने बताया कि मतदेय स्थलों के पुनर्निधारण एवं मानकीकरण के संबंध में जो मुख्य बिंदु रखे गए हैं. उनमें किसी भी मतदाता को अपने आवास से मतदेय स्थल तक पहुंचनें के लिए 2 किमी से अधिक पैदल दूरी तय न करनी पड़े, मतदेय स्थल तक पहुंचने के लिए किसी भी मतदाता को किसी जंगली एवं अत्यधिक दुर्गम पहाड़ी मार्ग या किसी भी प्रकार की प्राकृतिक बाधाओं यथा नदी, नालों आदि को पार करने का जोखिम न उठाना पड़े. मतदेय स्थल के लिए चिन्हित किसी भी भवन में मतदेय स्थल के लिए निर्धारित कक्ष केवल भू-तल में स्थापित हो और मतदेय स्थल के चिन्हित भवन जीर्ण-शीर्ण अथवा क्षतिग्रस्त न हो.
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पुलिस स्टेशन, अस्पताल, मन्दिर और अन्य किसी भी धार्मिक स्थल पर मतदेय स्थल स्थापित नहीं किया जाएगा. वर्तमान मतदेय स्थल भवन की 200 मीटर की परिधि के अन्तर्गत किसी राजनैतिक दल का कार्यालय स्थापित नहीं होना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र में एक भवन पर दो से अधिक एवं शहरी क्षेत्र में एक भवन पर चार से अधिक मतदेय स्थल स्थापित न हों. संभव मतदेय स्थल का क्षेत्र कम से कम 20 वर्गमीटर हो. स्थल कक्ष में प्रवेश एवं निकास के लिए यथा संभव अलग-अलग दरवाजे हों. उन्होंने बताया कि प्रत्येक मतदेय स्थल पर आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार AMF (Assured Minimum Facilities) भी भौतिक सत्यापन के दौरान जांच कर पुष्टि की जाएगी.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जिला देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल की कुछ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में विशेषकर शहरी क्षेत्रों में एक भवन में 4 से अधिक मतदेय स्थल स्थापित हैं. शहरी क्षेत्र में जिन भवनों में चार से अधिक मतदेय स्थल है और अगर उसी भवन में स्थापित दो या दो से अधिक मतदेय स्थलों के मतदाताओं की कुल संख्या1200 या इससे कम होती है तो ऐसे मतदेय स्थलों को मर्ज कर एक ही मतदेय स्थल बनाने की कार्रवाई की जा सकती है. अगर मर्ज करने में किसी प्रकार की कोई असुविधा होती है तो शहरी क्षेत्र में एक भवन में स्थापित 4 से अधिक मतदेय स्थल वाले भवनों के अतिरिक्त, मतदान क्षेत्र के अन्तर्गत उपलब्ध किसी अन्य उपयुक्त भवन में स्थापित किया जा सकता है.