देहरादूनःराज्य सरकार जीरो टॉलरेंस को लेकर काफी हो हल्ला करती है. इतना ही नहीं सूबे के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी भ्रष्टाचारी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात करते हैं, लेकिन यहां चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात सहायक लेखा अधिकारी को नियम विरुद्ध नियुक्ति पर सवाल उठाने पर सजा मिली है. उन्हें बीते 9 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है. ना ही वेतन भुगतान ना होने का कोई कारण बताया गया है.
दरअसल, चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात सहायक लेखा अधिकारी जेपी भट्ट के लिए मुश्किलें उस वक्त से बढ़नी शुरू हो गई थी, जब साल 2017 में मिर्जापुर के ग्राम्य विकास विभाग में तैनात चंद्रभान को देहरादून चिकित्सा शिक्षा विभाग में सहायक अभियंता के तौर पर प्रतिनियुक्ति पर लाया गया था.
इस दौरान चिकित्सा शिक्षा विभाग में ही तैनात सहायक लेखाधिकारी जेपी भट्ट ने इस मामले पर चंद्रभान की नियुक्ति को गलत तथ्यों के आधार पर नियम विरुद्ध किए जाने का मामला पकड़ा और एक जूनियर अधिकारी को सीनियर पद पर नियुक्ति दिए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई.
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जिसके बाद मामले पर जांच को लेकर शासन स्तर से लिखित आदेश हुए तो चंद्रभान को नियुक्ति देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने के बजाए आनन-फानन में 27 दिसंबर 2018 को चंद्रभान को उत्तराखंड से रिलीव कर दिया.
चंद्रभान को रिलीव करने के साथ ही मामला पकड़ने वाले ईमानदार अधिकारी जेपी भट्ट का भी पिथौरागढ़ ट्रांसफर कर दिया गया. जिसके बाद जेपी भट्ट ने हाई कोर्ट की शरण ली. जिसपर हाई कोर्ट ने तबादले पर स्टे लगा दिया. अभीतक चंद्रभान के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई.
बदले में ईमानदार अधिकारी का वेतन रोक दिया गया है. ऐसे में भट्ट को बीते 9 महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. बताया जा रहा है कि शासन में बैठे बड़े अधिकारियों की शह पर लाए गए चंद्रभान को बचाया जा रहा है.