देहरादूनःकोरोना की दूसरी लहर जमकर कहर बरपा रही है. लेकिन इन सबके बीच भी अस्पतालों में हजारों नवजातों की किलकारियां गूंजी हैं. जी हां, कोरोना संकट के बीच प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 8,410 महिलाओं के सुरक्षित प्रसव कराए गए हैं. जिसमें कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. जिनकी सफल डिलीवरी की जा चुकी है.
दरअसल, एनएचएम की मिशन निदेशक सोनिका की अध्यक्षता में बीते गुरुवार को सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ एक वर्चुअल बैठक की गई. इसमें बताया गया कि नॉन कोविड अस्पताल के रूप में संचालित किए जा रहे गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में प्रत्येक महीने 300 से 350 डिलीवरी की जा रही हैं. बैठक में डॉक्टरों ने बताया कि गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के प्रमुख अस्पतालों में प्रसव से पूर्व गर्भवती की आवश्यक जांचों से पहले कोविड जांच की जा रही है. साथ ही अस्पताल पहुंचते ही गर्भवती महिला का एंटीजन टेस्ट कराया जा रहा है.
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वहीं, जनवरी से अप्रैल तक कुल 8,410 गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराए जाने की भी जानकारी दी गई. इसके साथ ही स्त्री रोग विशेषज्ञों ने गर्भवती महिला के प्रसव को और सुरक्षित बनाने के लिए विभिन्न बिंदुओं पर एसओपी बनाने के सुझाव भी दिए. इसके तहत कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पर गर्भवतियों के लिए कोविड एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया गया, जिससे गर्भवती महिला का समय पर और सुरक्षित तरीके से प्रसव कराया जा सके. साथ ही नवजात शिशु को भी सुरक्षित रखा जा सके.
वर्चुअल बैठक के दौरान दून मेडिकल कॉलेज की महिला एवं प्रसूति रोग विभाग की हेड डॉक्टर चित्रा जोशी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में तैनात महिला डॉक्टरों के साथ तकनीकी परामर्श और सलाह के लिए त्वरित आदान-प्रदान करने को लेकर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए. ताकि टेक्निकल विषयों पर परामर्श और सलाह लेकर कोरोना महामारी के दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ की ओर से अधिक सतर्कता बरतने के साथ ही सुरक्षित प्रसव कराया जा सके.
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