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कोरोना की दूसरी लहर के बीच आए 8,410 नए मेहमान, सुरक्षित हुए प्रसव

उत्तराखंड में कोरोना की मुश्किल घड़ी के बावजूद अस्पतालों में बच्चों की किलकारियां भी खूब गूंज रही हैं. प्रदेश में दूसरी लहर के बीच 8,410 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया जा चुका है.

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Published : May 22, 2021, 2:23 PM IST

देहरादूनःकोरोना की दूसरी लहर जमकर कहर बरपा रही है. लेकिन इन सबके बीच भी अस्पतालों में हजारों नवजातों की किलकारियां गूंजी हैं. जी हां, कोरोना संकट के बीच प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 8,410 महिलाओं के सुरक्षित प्रसव कराए गए हैं. जिसमें कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. जिनकी सफल डिलीवरी की जा चुकी है.

दरअसल, एनएचएम की मिशन निदेशक सोनिका की अध्यक्षता में बीते गुरुवार को सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ एक वर्चुअल बैठक की गई. इसमें बताया गया कि नॉन कोविड अस्पताल के रूप में संचालित किए जा रहे गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में प्रत्येक महीने 300 से 350 डिलीवरी की जा रही हैं. बैठक में डॉक्टरों ने बताया कि गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के प्रमुख अस्पतालों में प्रसव से पूर्व गर्भवती की आवश्यक जांचों से पहले कोविड जांच की जा रही है. साथ ही अस्पताल पहुंचते ही गर्भवती महिला का एंटीजन टेस्ट कराया जा रहा है.

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वहीं, जनवरी से अप्रैल तक कुल 8,410 गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराए जाने की भी जानकारी दी गई. इसके साथ ही स्त्री रोग विशेषज्ञों ने गर्भवती महिला के प्रसव को और सुरक्षित बनाने के लिए विभिन्न बिंदुओं पर एसओपी बनाने के सुझाव भी दिए. इसके तहत कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पर गर्भवतियों के लिए कोविड एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया गया, जिससे गर्भवती महिला का समय पर और सुरक्षित तरीके से प्रसव कराया जा सके. साथ ही नवजात शिशु को भी सुरक्षित रखा जा सके.

वर्चुअल बैठक के दौरान दून मेडिकल कॉलेज की महिला एवं प्रसूति रोग विभाग की हेड डॉक्टर चित्रा जोशी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में तैनात महिला डॉक्टरों के साथ तकनीकी परामर्श और सलाह के लिए त्वरित आदान-प्रदान करने को लेकर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए. ताकि टेक्निकल विषयों पर परामर्श और सलाह लेकर कोरोना महामारी के दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ की ओर से अधिक सतर्कता बरतने के साथ ही सुरक्षित प्रसव कराया जा सके.

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नॉन कोविड गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में हो रही है गर्भवती माताओं की सफल डिलीवरी

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रखा गया है. ऐसे में गर्भवती माताओं के नॉन कोविड गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में प्रसव कराए जा रहे हैं. यहां तैनात महिला चिकित्सक सुरक्षित प्रसव करवा रही हैं. अस्पताल में प्रत्येक माह 300 से 350 डिलीवरी की जा रही हैं. इनमें से करीब सौ से सवा सौ डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन के माध्यम से की जा रही हैं.

गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में तैनात वरिष्ठ स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मेघना असवाल के मुताबिक बीते दिनों 4 से 5 कोरोना संक्रमित गर्भवती माताओं की सफल डिलीवरी की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 से ग्रसित महिलाओं को अलग आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करके उनका सुरक्षित प्रसव किया जा रहा है और प्रसव के बाद उन्हें कोविड समर्पित दून अस्पताल भेज दिया जाता है.

अस्पताल के डॉक्टरों के सामने कोरोना से संक्रमित होने की चुनौती

कई गर्भवती महिलाएं रात के वक्त अस्पताल में भर्ती होने आ रही हैं, लेकिन लेबर पेन के चलते उन्हें रात में कोरोना जांच कराने के लिए कोरोनेशन अस्पताल भेजना मुनासिब नहीं है. इसके अलावा कोरोनेशन और गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय के बीच दूरी होने की वजह से यह संभव नहीं है. ऐसे में डिलीवरी के बाद पता चल रहा है कि महिला कोरोना पॉजिटिव है.

साथ ही अस्पताल में परिजन बिना जांच के घूम रहे हैं, जिससे अस्पताल के स्टाफ और महिला चिकित्सकों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. वरिष्ठ गाइनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर मेघना असवाल का कहना है कि कोविड महामारी के दौरान गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में अधिक सतर्कता बरतते हुए सुरक्षित प्रसव कराए जा रहे हैं.

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