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पेड़ की छाल में बदल रहा शरीर, पीड़ित की गुहार- मेरी तो उम्र हो गई है पर बेटे को बचा लो - राजनांनदगांव की बड़ी खबर

कट्टापार वनांचल क्षेत्र में एक ऐसा व्यक्ति है, जिसके शरीर के कुछ हिस्सों को छोड़ के बाकी का शरीर पेड़ की छाल की तरह दिखता है. इस परिवार की तीन पीढ़ियां इस बीमारी की चपेट में आकर असमय ही काल के गाल में समा चुकी हैं

पेड़ की छाल

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Published : Nov 18, 2019, 8:13 AM IST

राजनांदगांव (छत्तीसगढ़): पेड़ जिसकी छाल से बड़ी-बड़ी बीमारी का इलाज किया जाता है, लेकिन अगर किसी इंसान के शरीर का अंग ही पेड़ की छाल में तब्दील हो जाए, तो कोई क्या करे. सुनने में अजीब जरूर लगेगा, लेकिन मोहल्ला विकासखंड के ग्राम कट्टापार का एक परिवार इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इस अज्ञात बीमारी से कम उम्र में ही इस परिवार के सात लोगों की मौत हो चुकी है.

पेड़ की छाल में बदलता जा रहा मानव शरीर.

कट्टापार वनांचल क्षेत्र में एक ऐसा व्यक्ति है, जिसके शरीर के कुछ हिस्सों को छोड़ के बाकी का शरीर पेड़ की छाल की तरह दिखता है. सबसे बड़ी और गंभीर बात यह है कि इस परिवार की तीन पीढ़ियां इस बीमारी की चपेट में आकर असमय ही काल के गाल में समा चुकी हैं, लेकिन इसका पता ना तो सरकार को चला और न ही स्वास्थ्य विभाग को.

पेड़ की छाल में बदल रहा शरीर

बीमारी से अब तक 7 लोगों की मौत
इस बीमारी के कारण संतराम के हाथ, पैर समेत कमर के नीचे का सारा हिस्सा तेंदू पेड़ की छाल की तरह कठोर हो गया है, जिसकी वजह से उसे अपने पैरों को हमेशा सीधा रखना पड़ता है. जब संतराम से उसकी इस बीमारी के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उसे यह बीमारी अनुवांशिक रूप से लगी है. इसके पहले उसके पिता थनवार सिंग को ये अजीबो-गरीब बीमारी थी. संतराम ने बताया कि उसके अलावा उसके छह भाई बहनों को भी ये बीमारी थी, जिनकी मृत्यु हो गई.
संतराम का एक 15 साल का बेटा भी है. उसमें भी इस बीमारी के लक्षण देखने को मिले हैं. संतराम को डर लगा रहता है कि कहीं उसके बेटे की बढ़ती उम्र के साथ उसे भी बीमारी जकड़ न ले.

भीख मांगकर करता है गुजारा
रोज-लोगों से भीख मांगकर जीवन गुजारा करने वाले संतराम से उसकी इस बीमारी के इलाज कराने के सम्बंध में पूछा गया, तो संतराम का कहना था कि सालों पहले इलाज के लिए उसने काफी भाग-दौड़ की पर नतीजा कुछ नहीं निकला. संतराम ने बताया कि गरीबी की वजह से वो बड़े शहरों के हॉस्पिटल में जांच नहीं करवा पाया, लेकिन जिले के हर छोटे-बड़े हॉस्पिटल और आयुर्वेदिक संस्थानों में इलाज करवा चुका है पर कोई फायदा नहीं हुआ.

ज्यादातर डॉक्टर बीमारी को समझ पाने में असफल
संतराम ने बताया कि ज्यादातर डॉक्टर इस बीमारी को समझ पाने में असफल रहे और समय पर सही इलाज नहीं मिल पाने की वजह से ये बीमारी उसके शरीर में बढ़ती गई.

बेटे को बचाने की मार्मिक अपील
संतराम ने मीडिया के जरिए शासन से मदद की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि मेरी अब मेरी उम्र हो चली है, लेकिन मेरा बेटा अभी छोटा है. अगर शास-प्रशासन मदद करें तो मेरे बेटे का इलाज हो सकता है.

हॉस्पिटल में चल रहा इलाज
शासकीय मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती संतराम और उनके पुत्र का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि ये बीमारी संभवत: किसी इंफेक्शन के कारण हुई है. बीमारी की जांच के लिए स्किन से संबंधित सभी टेस्ट किए जा रहे हैं. जैसे ही पूरी टेस्ट रिपोर्ट आ जाएगी इलाज किया जाएगा. डॉक्टर ने बताया कि इस तरह की बीमारी लाखों में किसी एक व्यक्ति को होती है. बहरहाल दोनों पिता-पुत्र हॉस्पिटल में डॉक्टरों की निगरानी में हैं.

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