देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड को सैनिकों के अदम्य साहस, शौर्य और शहादत के दम पर वीरभूमि भी कहा जाता है. देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए पहाड़ के चिरागों ने समय-समय पर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया है. जिसका लोहा पूरा देश कारगिल युद्ध में मान चुका है. इस महासंग्राम में 75 रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे की ताकत को कायम रखा.
आज से दो दशक पहले यानी 1999 में कारगिल सेक्टर में युद्ध लगभग तीन महीनों तक चला. जिसमें भारत के 526 सैनिक शहीद हो गए. पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए चलाया गया ऑपरेशन विजय 26 जुलाई को भारत की जीत के साथ खत्म हुआ. जमीन से लेकर आसमान और समंदर तक पाकिस्तान को घुटनों के बल लाने वाली भारतीय सेना में उत्तराखंड के 75 जवानों से अपनी शहादत दी. ऑपरेशन विजय में वीरगति को प्राप्त हुए इन 75 जवानों पर उत्तराखंड आज भी गर्व महसूस करता है.
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हालांकि उत्तराखंड में आज भी उस दिन को याद कर लोगों की आंखें भर आती हैं, जब कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद सेना के विमान द्वारा नौ शहीदों का शव एक साथ देवभूमि लाया गया, इस दौरान पूरे राज्य पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया था.