देहरादून:केदारनाथ त्रासदी को 6 साल पूरे हो गए हैं. केदारनाथ में 16 जून 2013 को आई आपदा की पीड़ा लोगों के जहन में आज भी ताजा है. उस दौरान के तबाही के मंजर को भले ही देश-दुनिया भूल गई हो पर यहां के स्थानीय लोगों के दिलों में त्रासदी के घाव अभी भी हरे हैं. उस मंजर को सोचते ही लोग सिहर उठते हैं. केदारपुरी की तस्वीर अब पुनर्निर्माण रूपी मरहम से भले ही केंद्र और राज्य सरकार बदलने की कोशिश में हैं, लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि सरकार ने उत्तराखंड त्रासदी से क्या सबक सीखा है.
छह साल पहले जून माह में केदारनाथ में सुबह तो हुई, लेकिन शाम होते-होते अत्याधिक बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से घाटी में मातम छा गया. हजारों लोगों की मौत और रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में मची भारी तबाही से देश-विदेश के लोग और सरकारें व्यथित थीं. अब 6 साल बाद भले ही इलाके की तस्वीर बदल गई हो, लेकिन पर्यावरण को जिस तरह से ताक पर रखकर काम किया जा रहा है इससे तो लगता है, सरकार ने उत्तराखंड की इस भीषण त्रासदी से कुछ सबक ही नहीं लिया. हालांकि आपदा से जुझने के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को लगातार मजूबत करने की कोशिश की जा रही है.
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साल 2013 में कुछ ऐसा था हाल
आपदा प्रबंधन विभाग उस दौरान बचाव कार्य तो छोड़िये कितना नुकासान हुआ इसका भी आंकलन नहीं कर पाया था. आपदा के करीब तीन दिन बाद घाटी में हुए नुकसान का आंकलन किया गया था. उस दौरान एनडीआरएफ और सेना के कंधों पर ही आपदा से लोगों को रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी थी. संसाधनों और कनेक्टिविटी के हाल ऐसे थे की मीडिया रिपोर्ट ही सूचनाओं का एक मात्र जरिया थी. महज 13 साल के उत्तराखंड राज्य के सामने ये चुनौती कोई सामान्य नहीं थी. सरकार और अधिकारियों ने ऐसी आपदा के बारे में सपने में भी नहीं सोचा था.
लेकिन, उत्तराखंड विशेष परिस्थितियों वाला हिमालयी राज्य है. यहां सरकार और विभागों को ऐसी तबाही के लिए हर वक्त तैयार रहने की जरूरत है. प्रदेश सरकार ने आपदा प्रबंधन के बेहतर समन्वयन और क्रियान्वन के लिए तमाम तरह की पहल की, जिस वजह से अब विभाग कुछ हद तक आपदा के लिए तैयार है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण ने 6 सालों में दैवीय आपदाओं से निपटने के लिए क्या कुछ नया किया ये बताया आपदा सचिव अमित नेगी ने. आइये डालते हैं इसपर एक नजर-
एसडीआरएफ का गठन
2013 की आपदा के बाद हालात से नियंत्रण से बाहर हो गए थे. उस दौरान राज्य सरकार के पास इस बिगड़े हुए हालात से निपटने के लिए कुछ मजबूत रणनीती और तंत्र नहीं था. इस वजह से राज्य सरकार ने साल 2014 में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स का गठन किया.