देहरादून: कोरोना के प्रकोप की वजह से भारत में लॉकडाउन चल रहा है. उसका इकोनॉमी पर बहुत गंभीर असर पड़ रहा है. लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं के अलावा सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं. कारोबार थम गया है. दुकानें बंद हैं और आवाजाही पर रोक है.
2019 की गणना के मुताबिक, उत्तराखंड में 62 हजार टैक्सी और मैक्सी कैब का संचालन हो रहा है. लेकिन लॉकडाउन के चलते टैक्सी और मैक्सी कैब के पहिए जाम हो गए हैं. लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार ने रियायत देते हुए ग्रीन जोन में टैक्सी सर्विस शुरू करने की अनुमति दी है.
पहाड़ की लाइफ लाइन टैक्सी-मैक्सी सेवाएं 'लॉक' नए आदेश के मुताबिक कैब में ड्राइवर के अलावा अधिकतम दो यात्रियों को बैठने की अनुमति दी गई है. साथ ही किसी भी कीमत पर ड्राइवर के बगल में यात्रियों को बैठने की अनुमति नहीं होगी. ऐसी स्थिति में कैब ड्राइवरों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
ये भी पढ़ें:ये कश्मीर नहीं मुनस्यारी है...स्वागत को तैयार है उत्तराखंड का पहला ट्यूलिप गार्डन
ईटीवी भारत से बातचीत में दून गढ़वाल ट्रैक्टर जीप संचालन समिति के सचिव राजेश कुमार ने बताया कि सरकार ने 2 सवारियों के साथ कैब सर्विस की अनुमति प्रदान की है. लेकिन उनके द्वारा संचालित होने वाले वाहन अधिकतर 9 से 12 सीटर हैं. ऐसे में सिर्फ दो सवारियों को लेकर मैक्सी कैब का संचालन शुरू करते हैं. इस व्यवसास से जुड़े लोगों को खासा नुकसान होगा और लोग डीजल-पेट्रोल और वाहन के मेंटेनेंस तक का खर्चा नहीं उठा पाएंगे.
सरकार से गुहार लगाते हुए दून गढ़वाल ट्रैकर जीप संचालन समिति के सचिव ने कहा कि मैक्सी कैब संचालकों के विषय में सरकार को दोबारा विचार करना चाहिए. साथ ही 9 से 12 सीटर वाली मैक्सी कैब में 5 से 7 सवारियों को बैठाने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए. ताकि सवारियों से जरिए होने वाली आमदनी से अपने परिवार का खर्चा आसानी से उठाया जा सके.
ये भी पढ़ें:मसूरी: बारिश से लौटी ठंड, किसानोंं में छाई मायूसी
उत्तराखंड के लिए जरूरी है मैक्सी सर्विस
दून गढ़वाल ट्रैकर जीप संचालन समिति के अंतर्गत सामान्य दिनों में 255 मैक्सी कैब का संचालन होता है. उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के कारण मैक्सी कैब मैदानी जनपदों को पहाड़ से जोड़ने का काम करती हैं. मैदानी इलाकों से पहाड़ का रुख करने वाले 70% यात्री इन्हीं मैक्सी कैब के सहारे पहाड़ी इलाकों का सफर करते हैं. लॉकडाउन के चलते इस व्यवसाय से जुड़े करीब 6 हजार परिवारों के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है.