देहरादूनःभारत में 2020 फरवरी में कोरोना की दस्तक के बाद से सैनिटाइजर की मांग लगातार मांग बढ़ी है. कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक हर शख्स को दिन में करीब 5 बार सैनिटाइजर लगाना है या साबुन से हाथ धोना चाहिए. लेकिन स्पेक्स संस्था ने सैनिटाइजर पर सवाल खड़ा किया है. स्पेक्स ने मई से जुलाई महीने के बीच उत्तराखंड के सभी जिलों में सैनिटाइजर टेस्टिंग अभियान चलाया. अभियान में 1050 नमूने इकट्ठे किए गए. इस दौरान 578 नमूनों में अल्कोहल की प्रतिशत मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई. संस्था के मुताबिक कुछ लोगों ने इसमें मानकों की अनदेखी करके सैनिटाइजर बाजार में बेचना शुरू कर दिया है.
सैनिटाइजर की गुणवत्ता जांचने के लिए उत्तराखंड की स्वयंसेवी संस्था सोसायटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरनमेंट कंजर्वेशन साइंटिस्ट (स्पेक्स) ने उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में एक अध्ययन किया. अध्ययन 3 मई से 5 जुलाई 2021 तक किया गया. नमूनों में अल्कोहल परसेंटेज के साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड, मेथेनॉल और रंगों की गुणवत्ता का परीक्षण अपनी प्रयोगशाला में किया.
परीक्षण करने के बाद जानकारी मिली कि लगभग 56% सैनिटाइजर में अल्कोहल मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया है. यानी 1050 नमूनों में से 578 नमूने फेल हुए. 8 नमूनों में मेथेनॉल पाया गया है. इसके अलावा लगभग 112 नमूनों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड का प्रतिशत मानकों से अधिक पाया गया. साथ ही 278 नमूनों में टॉक्सिक रंग मिला है. बता दें कि सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा 60-80 प्रतिशत होनी चाहिए और हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा 0.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, साथ ही मेथेनॉल भी नहीं होना चाहिए.