उत्तराखंड में नहीं सुलझ रहा 4 हजार से ज्यादा शवों का रहस्य, Unidentified डेड बॉडीज बनीं पहेली
राज्य स्थापना यानी 9 नवंबर 2000 के बाद से अब तक 4703 अज्ञात लाशें (4703 unidentified dead bodies found in Uttarakhand) मिल चुकी हैं. रहस्य बनी इन लाशों के आंकड़े भी बेहद चौंकाने वाले हैं. यह आंकड़े जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (Zonal Integrated Police Network) ने देश के 7 राज्यों में अज्ञात शवों को लेकर जारी किए हैं. जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब और राजस्थान के लिए यह आंकड़े जारी किए हैं.
उत्तराखंड में नहीं सुलझ रहा 4 हजार से ज्यादा लाशों का रहस्य
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Published : Nov 17, 2022, 1:10 PM IST
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Updated : Nov 17, 2022, 4:50 PM IST
देहरादून: उत्तराखंड भले ही अपराध के लिहाज से एक शांत प्रदेश के रूप में जाना जाता हो, लेकिन यहां हजारों मौतों का एक ऐसा रहस्य भी है, जिनसे प्रदेश की पुलिस आज तक पर्दा नहीं उठा पाई है. मौतों की यह पहेली पिछले 22 सालों से बदस्तूर जारी है. हैरानी की बात यह है कि हजारों लाशों की यह संख्या हर साल एक नया रिकॉर्ड (Unknown dead bodies in Uttarakhand) बना रही है. राज्य में ये आंकड़ा 4500 पार पहुंच गया है, मगर अभी तक इस पर सस्पेंस बरकरार है. प्रदेश में क्या है मौतों की पहेली आइये आपको बताते हैं.
उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) के रिकॉर्ड में दर्ज हजारों मृतक पिछले 22 सालों से अज्ञात शव के रूप में दर्ज हैं. यह लोग कौन हैं? इनकी मौत की वजह क्या है? यह बात कभी सामने ही नहीं आ पाई. पुलिस के लिए इन अज्ञात डेड बॉडीज का पता लगाना एक बड़ी चुनौती रहा है. उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों से मिली कई लाशें तो ऐसे हालात में मिली जिसे देख पाना भी बेहद मुश्किल है. चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें कई लाशें तो किसी के लिए भी पहचान पाना भी मुश्किल है. पुलिस भी इन लाशों के परिजनों के आने का इंतजार करती है. कानूनी प्रक्रिया के तहत एक समय सीमा पूरी होने के बाद ही उनका दाह संस्कार कर दिया जाता है.
उत्तराखंड में नहीं सुलझ रहा 4 हजार से ज्यादा शवों का रहस्य
राज्य स्थापना यानी 9 नवंबर 2000 के बाद से अब तक ऐसी 4703 लाशें मिल चुकी हैं, जिनको ले जाने ना तो उनके कोई परिजन आए और ना ही इन शवों के बारे में कुछ जानकारी मिल सकी. अज्ञात लाशों के इस आंकड़े को लेकर उत्तराखंड पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक वी मुरुगेशन कहते हैं जो लाशें मिली हैं उनके शिनाख्त न होने की कई वजह हो सकती हैं. उत्तराखंड पर्यटन और तीर्थाटन प्रदेश है. लिहाजा कई राज्यों के यात्री उत्तराखंड आते हैं. इस दौरान उनकी मौत होने पर उनके अपनों का पता नहीं चल पाता. हालांकि इन लाशों को अपराध छुपाने के रूप में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में छोड़ जाने की संभावना से भी पुलिस के अधिकारी इंकार नहीं करते.
रहस्यमई इन लाशों के आंकड़े भी बेहद चौंकाने वाले हैं. उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में पिछले 22 सालों में 4703 अज्ञात शवों का मिलना अपने आप में बेहद गंभीर है. अब जानिए उत्तराखंड में अज्ञात लाशों के क्या आंकड़े हैं.
राज्य स्थापना से लेकर अब तक 4703 शवों की नहीं हो पाई शिनाख्त
2017 से अब तक 1771 शव मिले, जिनकी पहचान नहीं हो पाई
साल 2017 में 279, 2018 में 357 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई.
2019 में 348, 2020 में 222 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई.
2021 में 302 और 2022 में 11 महीनों में 263 शव मिले, जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाई
हिमाचल प्रदेश में पिछले 22 साल में 40 Unidentified शव मिले.
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में 5864 शव मिले.
हरियाणा में 6669 तो पंजाब में केवल 611 शव पिछले 22 सालों में मिले
उत्तराखंड में पिछले 22 साल में 4703 शवों का आंकड़ा बेहद गंभीर
इस तरह देखा जाए तो चंडीगढ़, हिमाचल और पंजाब जैसे राज्यों से भी कहीं ज्यादा अज्ञात शव उत्तराखंड में हर साल मिल रहे हैं. बता दें यह आंकड़े जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क ने देश के 7 राज्यों में अज्ञात शवों को लेकर जारी किए हैं. जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब और राजस्थान के लिए यह आंकड़े जारी किए हैं. उत्तराखंड के लिहाज से देखें तो अज्ञात शव बरामदगी में हरिद्वार जिला सबसे ऊपर है. जिलों के लिहाज से क्या हैं आंकड़े जानिए.
जिला
शवों की संख्या
हरिद्वार
1396
देहरादून
820
नैनीताल
596
रुद्रप्रयाग
623
उधम सिंह नगर
379
पौड़ी
26
टिहरी
217
चंपावत
152
चमोली
72
उत्तरकाशी
49
अल्मोड़ा
29
बागेश्वर
27
पिथौरागढ़
19
उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के लिए यह बड़ा आंकड़ा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह उत्तराखंड के पर्यटन प्रदेश के रूप में बड़ी संख्या में पर्यटकों के यहां आने को माना जा रहा है. इसके अलावा शांत प्रदेश होने के चलते अक्सर उत्तराखंड को बड़े अपराधियों की शरण स्थली के रूप में भी माना जाता है. अक्सर अपराधियों की प्रवृत्ति अपराध कर सबूत या लाश को कहीं दूर ठिकाने लगाने की होती है. लिहाजा इस लिहाज से भी उत्तराखंड में इन लाशों को देखा जा रहा है. वैसे तो पुलिस के रिकॉर्ड में इन अज्ञात लाशों को चढ़ा दिया जाता है, लेकिन जिस तरह यह आंकड़ा बढ़ रहा है, पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गया है. पढे़ं-कैंची धाम पहुंचे विराट कोहली और अनुष्का शर्मा, नीम करौली बाबा से की प्रार्थना
इस मामले में रिटायर्ड आईजी दीपक कुमार (Retired IG Deepak Kumar) कहते हैं, उत्तराखंड में 4500 से ज्यादा का यह आंकड़ा चौंकाने वाला है. इसके लिए पुलिस को चाहिए कि वह एक अलग सिस्टम तैयार करें, ताकि इन अज्ञात लाशों की गुत्थी को सुलझाया जा सके. सामान्य पुलिसिंग के साथ इन अज्ञात लाशों के रहस्य को सुलझाना मुश्किल है. लिहाजा इसके लिए एक अलग टीम बनाकर इस पर काम किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि भले ही इसे एक अज्ञात शव के रूप में देखा जाए, लेकिन इससे न केवल अपराधी और उसके मंसूबों को ना पकड़े जाने पर बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अज्ञात शव के परिजनों को भी उसकी मौत के बाद मिलने वाले तमाम फाइनेंशियल बेनिफिट्स से भी उन्हें महरूम रहना पड़ सकता है. लिहाजा यह एक अज्ञात लाश या केस की बात नहीं है, बल्कि इस पर एक वृहद चिंतन होना चाहिए.