देहरादून: शहर के बीचों-बीच एक दशक से भी अधिक लंबे समय से 47 जर्जर हालत वाले खंडहरनुमा भवन मौजूद हैं. इन भवनों को नगर निगम प्रशासन ने गिरासू भवन घोषित किया है, मगर आजतक इन्हें ध्वस्त करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई. एक अरसे से सरकारी मशीनरी की इच्छाशक्ति की कमी के चलते ये कार्रवाई मात्र चेतावनी के नोटिस देने तक ही सीमित है. जबकि किसी भी मॉनसून सीजन में यह गिरासू भवन धराशायी होकर किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं. जानकारी के मुताबिक इनमें से काफी गिरासू भवनों के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं.
जानमाल का खतरा बरकरार: देहरादून शहर क्षेत्र में आने वाले गिरासू भवनों के बारे में सबसे गंभीर बात यह है कि वर्तमान में घोषित सभी 47 गिरासू भवन शहर के बीचों-बीच भीड़भाड़ वाले स्थानों पर स्थित हैं. इन जगहों पर बाजार लगने, पब्लिक आवाजाही के कारण 24 घंटे खतरे का डर बना रहता है.
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साल दर साल नगर निगम ऐसे रिहायशी और व्यवसायिक भवनों का चिन्हकरण करता है, जो ब्रिटिश शासनकाल के समय से पुराने होने के बाद मौजूदा समय में ऐसी जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं. वर्तमान में देहरादून शहर के बीचों बीच 47 ऐसे भवन हैं. जिन्हें कई बार नोटिस दिया जा चुका है. मगर इनमें कुछ भवनों के मामले में कोर्ट में लंबित हैं, जिसके कारण इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है.
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मास्टर प्लान के तहत होगी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई:देहरादून में गिरासू भवनों की हालत बेहद दयनीय है. बावजूद उनके ध्वस्तीकरण कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इस संबंध हर बार की तरह वर्तमान जिला अधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार भी सफाई देने में जुटे हैं. उनका कहना है कि नोटिस दिए जा चुके हैं.
तहसील से इस बारे में कई तरह सूचनाएं एकत्र की जा रही है. विभागीय अधिकारियों से भी विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है, जिसका इंतजार है. जिलाधिकारी के मुताबिक ध्वस्तीकरण कार्रवाई के लिए सभी रिपोर्ट की तस्वीर साफ होने के पश्चात मास्टर प्लान का खाका तैयार कर आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.