देहरादून:कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर व्यवसायिक वाहन चालकों का कारोबार ठप पड़ गया है. कोरोना का असर निजी बस संचालकों, चालकों, सिटी बस और मैक्सी कैब संचालकों पर साफ देखा जा सकता है. कोरोना के कारण लोगों ने सार्वजनिक वाहनों में यात्रा करना बंद कर दिया है. इस वजह से वाहन स्वामियों का भारी नुकसान हुआ है. देहरादून आरटीओ में शुक्रवार को 440 बस और टैक्सियां सरेंडर कर दी गई हैं.
एआरटीओ (प्रशासन) द्वारिका प्रसाद ने बताया कि कुल 440 वाहन स्वामियों ने अपने वाहन सरेंडर कर दिए हैं. इसमें 200 वाहन स्वामियों ने ऑनलाइन आवेदन कर अपने वाहन सरेंडर किये हैं. जबकि 240 लोगों ने मैनुअल आवेदन कर अपने वाहनों को सरेंडर कर दिया है. यह ऐसे वाहन हैं जिनका टैक्स जमा नहीं था या फिर उनके चालान हो रखे थे. वर्तमान में आरटीओ प्रशासन की ओर से वाहनों को सरेंडर करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. वहीं यह सभी वाहन 3 महीने के लिए सरेंडर होंगे.
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कोरोना के कारण परिवहन कारोबार चौपट हो गया है. इसका असर निजी बस संचालकों, चालकों, सिटी बस और मैक्सी कैब संचालकों पर साफ देखा जा सकता है. देहरादून आरटीओ में शुक्रवार को 440 बस और टैक्सियां सरेंडर कर दी गई हैं.
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व्यवसायिक वाहन चालक और संचालक इस वजह से कर रहे हैं अपने वाहनों को सरेंडर
सिटी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल का कहना है कि वर्तमान में सभी व्यवसायिक वाहन चालक और संचालक भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में वाहन सरेंडर करना ही एकमात्र विकल्प बज जाता है. वाहन सरेंडर करने के बाद वाहन स्वामी को टैक्स नहीं देना पड़ता. जिसमें बड़े वाहनों जैसे कि बसों का टैक्स लगभग 9 से 11 हजार रुपये के आसपास होता है. वहीं छोटे वाहनों का टैक्स 2 से 4 हजार रुपये तक होता है. ऐसे में सरकार अपने स्तर से व्यवसायिक वाहनों को कोई राहत नहीं दे रही है. इसलिए मजबूरन वाहन स्वामी अपने वाहनों के कागजात सरेंडर करने को मजबूर हैं.