देहरादून:उत्तराखंड सरकार की घसियारी कल्याण योजना को पहाड़ के 4 जनपदों में शुरू करने के बाद अब चार अन्य जिलों को भी इस योजना में जोड़ा जा रहा है. अब राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इस योजना की सफलता के बाद चार और जिलों को इससे जोड़ने के लिए सचिव सहकारिता को निर्देश दिए हैं. जिसके बाद सचिव सहकारिता डॉ पुरुषोत्तम ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है.
उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता विभाग की राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले वर्ष 30 अक्टूबर 2021 में देहरादून से इस योजना का उद्घाटन किया था. इस योजना की शुरूआत में इसमें पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत जनपदों को जोड़ा गया था. इन जिलों में योजना को मिली सफलता के सात माह बाद इस योजना से अब कॉपरेटिव मंत्री डॉ रावत ने टिहरी, चमोली, नैनीताल और बागेश्वर जैसे चार नए जिलों को भी जोड़ दिया है.
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मंत्री डॉ रावत ने बताया कि घसियारी कल्याण योजना से प्रदेश के पर्वतीय ग्रामीण इलाकों की करीब तीन लाख महिलाओं के कंधे का बोझ कम होगा. इस योजना के तहत उन्हें उनके गांव में ही पैक्ड सायलेज (सुरक्षित हरा चारा) और संपूर्ण मिश्रित पशुआहार (टीएमआर) उपलब्ध होगा. सरकार एक ओर जहां मक्के की खेती कराने में सहयोग देगी तो दूसरी ओर उनकी फसलों का क्रय भी करेगी.
सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत के मुताबिक, प्रदेश के पर्वतीय गांवों में करीब तीन लाख महिलाएं रोज अपने कंधों पर घास का बोझ ढो रही हैं. वह चारा या घर में इस्तेमाल होने वाली ज्वलनशील लकड़ी के लिए रोजाना आठ से दस घंटे तक का समय देती हैं. इस वजह से उनके कंधों में दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटनों की समस्या आम है. उन्हें अगर आसानी से घास मिलेगा तो हर महीने करीब 300 घंटे की बचत होगी. इसके साथ ही गांव में रहकर ही उनकी आमदनी बढ़ेगी. प्रदेश में पर्वतीय क्षेत्रों में चारे की कमी के बीच महिलाओं के कंधे पर चारा लाने की बड़ी जिम्मेदारी है. इससे उन्हें मुक्त करने के लिए ही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना लाई गई है.