देहरादून: उत्तराखंड में हर साल बारिश मुसीबतों का सैलाब लेकर आती है. हर साल करोड़ों की संपदा आसमानी आफत की भेंट चढ़ जाती है. वहीं, लगातार दो दिनों से प्रदेश में हो रही आफत की बारिश से करीब 659 सड़कें बाधित हैं. आज भी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोईवाला के रानीपोखरी में एक ब्रिज उस समय धराशायी हो गया, जिस वक्त बरसाती नदी अपने उफान पर थी. गनीमत यह रही कि इस घटना में किसी की जान नहीं गई. डोईवाला में पुलों के धराशायी होने का क्या इतिहास है चलिए हम आपको बताते हैं.
बता दें कि डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में बीते 2 सालों में बारिश ने यहां कुछ ज्यादा ही नुकसान किया है. या यह कहें कि इस विधानसभा सीट में बने छोटे-बड़े पुलों में अधिकारियों और विभागों की लापरवाही के चलते जनता का पैसा बरसाती पानी के साथ हर साल बह रहा है. क्योंकि 2 सालों में यहां 4 पुल अपनी बदहाली की गवाही दे चुके हैं.
आज से ठीक डेढ़ साल पहले जून महीने में रायपुर-देहरादून मार्ग पर सोडा सरोली सौंग नदी के ऊपर बने पुल की सपोर्टिंग दीवार हल्की सी बारिश में गिर गई थी. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. इस पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद आनन-फानन में तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था.
वहीं, अभी इस घटना को बीते 3 महीने का भी वक्त नहीं हुआ था कि जुलाई महीने के अंत में एक और नवनिर्मित बड़ासी पुल का एक हिस्सा ढह गया. इस हादसे के बाद भी मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए और तत्काल प्रभाव से पीडब्ल्यूडी के दो अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए सस्पेंड कर दिया. लेकिन डोईवाला क्षेत्र में पुलों के क्षतिग्रस्त होने का मानो एक इतिहास लिखा जाना था.