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सचिवालय संघ के चुनाव से पहले कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, भत्ते में 35 फीसदी की बढ़ोतरी

उत्तराखंड सचिवालय के कर्मचारियों के सचिवालय भत्ते में 35 फीसदी की बढ़ोतरी की गई. इससे पहले सचिवालय कर्मचारियों को 50 फीसदी ग्रेड वेतन के तहत सचिवालय भत्ता दिया जाता है. जिसे बढ़ाकर अब 85 फीसदी कर दिया गया है.

सचिवालय संघ
सचिवालय संघ

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Published : Jul 24, 2023, 10:28 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में सचिवालय संघ के चुनाव से पहले कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया गया है. एक तरफ शासन ने कर्मचारियों के सचिवालय भत्ते में 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है, तो दूसरी तरफ ऊर्जा निगम के अल्प भोगियों के महंगाई भत्ते पर वित्त विभाग की आपत्ति भी इस दौरान सुर्खियों में आ गई है. हालांकि, सरकार के इस फैसले से सचिवालय के कर्मचारियों में खुशी की लहर है.

उत्तराखंड शासन से आज की बड़ी खबर सचिवालय कर्मचारियों के सचिवालय भत्ते में की गई बढ़ोतरी से जुड़ी है. शासन ने सचिवालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के सचिवालय भत्ते में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इससे पहले सचिवालय कर्मचारियों को 50 फीसदी ग्रेड वेतन के सचिवालय भत्ता अनुमन्य है, जिसे अब बढ़ाते हुए ग्रेड पे का 85 फीसदी किए जाने के आदेश किए गए हैं. सचिवालय कर्मचारियों को सचिवालय विशेष भत्ते का लाभ 1 अगस्त 2023 से मिलने लगेगा. सचिवालय विशेष भत्ते की यह दर केवल सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए ही अनुमन्य की गई है.

एक तरफ सचिवालय कर्मचारियों में सचिवालय भत्ता 50 फीसदी से बढ़कर 85 फीसदी की जाने की खुशी दिखाई दे रही है और सचिवालय संघ के चुनाव से पहले इसे भी बड़े तोहफे के रूप में देखा जा रहा है तो दूसरी तरफ एक और पूर्व में हुए आदेश की भी खूब चर्चाएं हो रही हैं. दरअसल, यह आदेश ऊर्जा निगम के उपनल कर्मचारियों को लेकर किया गया था, जिसमें कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने की स्वीकृति ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम की तरफ से दी गई थी. लेकिन बताया गया कि वित्त की तरफ से आपत्ति दर्ज करने के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया है.
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अब सवाल उठ रहा है कि अल्प वेतन भोगियों को महंगाई भत्ता देने को लेकर तो वित्त ने आपत्ति दर्ज करा दी, लेकिन सचिवालय भत्ता देने पर वित्त विभाग के बड़े अधिकारियों को कोई परेशानी क्यों नहीं हुई. हालांकि, यह कहा जा रहा है कि ऊर्जा निगम में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने के लिए वित्त विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए वित्त विभाग ने इस पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन अगला सवाल यह है कि ऊर्जा निगम में ही अभियंताओं को एसीपी का लाभ देकर करोड़ों का बोझ ऊर्जा निगम पर डाला गया है. इस दौरान क्या वित्त विभाग से अनुमति ली गई थी? बहरहाल कई सवाल है और इस सवाल के घेरे में वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव और सचिव दिखाई दे रहे हैं.
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