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IMA की पीओपी से पहले जेंटलमैन कैडेट्स ने ड्रिल परेड में दिखाया जोश, सेना को मिलेंगे 344 जांबाज - passing out parade of the Indian Military Academy

भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में 10 दिसंबर को होने वाली पासिंग आउट परेड से पहले आज 344 जेंटलमैन कैडेट्स ने परेड की रिहर्सल की. इस दौरान एकेडमी के डिप्टी कमांडेंट और चीफ इंस्ट्रक्टर आलोक जोशी को सलामी दी गई.

Dehradun IMA POP
आईएमए

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Published : Dec 6, 2022, 5:07 PM IST

Updated : Dec 6, 2022, 5:20 PM IST

देहरादून: आगामी 10 दिसंबर 2022 को भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए में पासिंग आउट परेड होनी है. इससे पूर्व मंगलवार 6 दिसंबर को पास आउट होने वाले 344 जेंटलमैन कैडेट्स ने शानदार परेड करते हुए एकेडमी के डिप्टी कमांडेंट और चीफ इंस्ट्रक्टर (DC&CI) आलोक जोशी को सलामी दी. ऐतिहासिक आईएमए चेटवुड बिल्डिंग के सामने इस ड्रिल का आयोजन किया गया.

इस दौरान 314 भारतीय और 30 विदेशी जेंटलमैन कैडेट्स ने अपने सटीक परेड का प्रदर्शन किया. इस आयोजन को आगामी 10 दिसंबर 2022 को ग्रैंड फिनाले की तैयारी के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया. भारतीय सैन्य अकादमी डिप्टी कमांडेंट आलोक जोशी ने पासआउट होने वाले जैंटलमैन कैडेट्स की सराहना की और उन्हें भारतीय सेना के बेहतरीन अधिकारी बनने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने वीरता, सम्मान, महत्वपूर्ण लोकाचार की परंपराओं और उत्कृष्ट भारतीय सेना पर भी जोर दिया है.
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वहीं, पासिंग आउट कोर्स को संबोधित करते हुए डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल आलोक जोशी ने कहा कि 'ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और नैतिक अनुशासन भारतीय सेना की पहचान है. इसे बनाए रखना आपके लिए एक कठिन कार्य है. मेजर जनरल जोशी ने कहा कि एक सभ्य समाज में एक धारणा है कि सेना में बेईमानी के लिए जीरो टॉलरेंस है. इसे दशकों में हमारे सभी वरिष्ठों द्वारा सावधानी बरकरार रखा है. उन्होंने कहा कि मैं आपसे इस परंपरा को बनाए रखने के लिए प्रार्थना करता हूं.

मेजर जनरल आलोक जोशी ने दी बधाईः उन्होंने कहा कि भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) की कठिन प्रशिक्षण और देश सेवा में योद्धा बनाने वाली यह निपुणता आपको दूसरों से अलग करेगी. आप समझदार और अंतर्दृष्टिपूर्ण होंगे. आप सम्मान अर्जित करेंगे, यदि आप पेशेवर रूप से सक्षम हैं. आपके पास ज्ञान की शक्ति है, तो आप सम्मान अर्जित कर उन सभी पुरुषों से बेहतर साबित होंगे जो आप उनसे करने की उम्मीद करते हैं.

IMA की स्थापना: एक अक्तूबर 1932 में स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का 90 वर्ष का गौरवशाली इतिहास है. अकादमी 40 कैडेट्स के साथ शुरू हुई थी. अब तक अकादमी देश-विदेश की सेनाओं को 63 हजार 768 युवा अफसर दे चुकी है. इनमें 34 मित्र देशों के 2,724 कैडेट्स भी शामिल हैं. 1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे. इसी में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे. आईएमए ने ही पाकिस्तान को उनका पहला आर्मी चीफ भी दिया है.

10 दिसंबर 1932 में भारतीय सैन्‍य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्ल्यू चेटवुड ने किया था. उन्हीं के नाम पर आईएमए की प्रमुख बिल्डिंग को चेटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाने लगा. आजादी के बाद पहली बार किसी भारतीय ने सैन्य अकादमी की कमान संभाली. 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने. 1949 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसका एक विंग क्लेमेंट टाउन में खोला गया. बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस अकादमी रखा गया.

पहले क्लेमेंट टाउन में सेना के तीनों विंगों को ट्रेनिंग दी जाती थी. बाद में 1954 में एनडीए के पुणे स्थानांतरित हो जाने के बाद इसका नाम मिलिट्री कॉलेज हो गया. फिर 1960 में संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया. 10 दिसंबर 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार अकादमी को ध्वज प्रदान किया. साल में दो बार (जून और दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को) आईएमए में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है.

Last Updated : Dec 6, 2022, 5:20 PM IST

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