देहरादून:भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy) की 12 जून को पासिंग आउट परेड (POP) से पहले मंगलवार को डिप्टी कमांडेंट परेड का आयोजन किया गया. इसमें देश की सुरक्षा के लिए तैयार भावी अफसरों ने कदमताल किया. आईएमए के जेंटलमैन कैडेट्स के साथ पूरे देश को एक बार फिर 12 जून का इंतजार है. जब एकेडमी से प्रथम पग निकालते ही सेना को 341 सैन्य अधिकारी मिल जाएंगे.
पीओपी से पहले भारतीय सैन्य अकादमी में कुछ दूसरे महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं. इसी में आईएमए के डिप्टी कमांडेंट एंड चीफ इंस्ट्रक्टर परेडभी शामिल है. इसमें पासिंग आउट परेड से पहले जेंटलमैन कैडेट्स उन सभी पलों को महसूस करते हैं, जिसकी असल खुशी उन्हें 12 जून को मिलने जा रही है.
डिप्टी कमांडेंट परेड में कैडेटों ने दिखाया जोश. जेंटलमैन कैडेट्स के लिए यूं तो भारतीय सैन्य अकादमी में पहुंचना और यहां प्रशिक्षण लेना अपने आप में गौरव की बात होती है. लेकिन इन कैडेट्स को असल इंतजार डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद उस पल का होता है, जब वह भारतीय सेना का हिस्सा बन जाते हैं.
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उसी पल की खुशी को जेंटलमैन कैडेट्स पासिंग आउट परेड से पहले डिप्टी कमांडेंट एंड चीफ इंस्ट्रक्टर परेड में महसूस करते हैं. दरअसल इस परेड में पासिंग आउट परेड की तरह ही उन सभी मूवमेंट को रिहर्सल के तौर पर किया जाता है. भारतीय सैन्य अकादमी में ईटीवी भारत ने गौरवशाली पलों को अपने कैद किया है.
डिप्टी कमांडेंट परेड में कैडेटों ने दिखाया जोश. ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग के सामने ठीक सुबह 5.30 बजे इस प्रैक्टिस की शुरुआत हुई. इस परेड में 445 जेंटलमैन कैडेट्स ने हिस्सा लिया. जिसमें 341 भारतीय और 84 विदेशी जेंटलमैन कैडेट्स शामिल थे.
भारतीय सैन्य अकादमी में सैन्य अधिकारी मेजर निकुंज शर्मा ने बताया कि यह जेंटलमैन कैडेट्स एक कड़ी प्रशिक्षण के बाद तैयार हुए हैं और अकादमी में पूरी मेहनत के साथ जेंटलमैन कैडेट्स को हर चुनौती से पार पानी का प्रशिक्षण दिया गया है.
341 कैडेट्स भारतीय सेना में बनेंगे अफसर. डिप्टी कमांडेंट एंड चीफ इंस्ट्रक्टर परेड में बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर मेजर जनरल जेएस मंगत ने परेड का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने एक सैन्य अधिकारी की नेतृत्व क्षमता और सैनिकों के प्रति जिम्मेदारी को लेकर भी बात कही. इस दौरान पीपिंग सेरेमनी से लेकर पासिंग आउट परेड के दौरान होने वाली एक्टिविटी की रिहर्सल की गई.
1934 में पास आउट हुआ था पहला बैच
एक अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ आईएमए की स्थापना हुई. 1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पास आउट हुआ. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ भी इसी एकेडमी के छात्र रह चुके हैं.
IMA में डिप्टी कमांडेंट एंड चीफ इंस्ट्रक्टर परेड. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से देश-विदेश की सेनाओं को 63 हजार से ज्यादा युवा अफसर मिल चुके हैं. इनमें मित्र देशों के 2500 युवा अफसर भी शामिल हैं.