ऋषिकेश:महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं. एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) स्थित आईबीसीसी ओपीडी में पिछले 3 वर्षों के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. इस बीमारी के प्रति महिलाओं में जागरुकता की कमी के कारण ब्रेस्ट कैंसर अब कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस मामले में महिलाओं से जागरुकता रहने और जनजागरुकता मुहिम चलाने पर जोर दिया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में 21 फीसदी से अधिक मौतें ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती हैं. समय रहते इसके लक्षणों में ध्यान नहीं देने और जागरुकता की कमी के चलते महिलाओं को इसका पता चलने तक कैंसर घातक रूप ले चुका होता है. एम्स ऋषिकेश के एकीकृत स्तन उपचार केंद्र (Integrative Breast Treatment Center) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड और आस-पास के राज्यों में स्तन कैंसर के मरीजों में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है.
वर्ष 2019 में संस्थान की ब्रेस्ट कैंसर ओपीडी में 1,233 मरीज पंजीकृत किए गए थे. जबकि, वर्ष 2020 में मरीजों की यह संख्या बढ़कर 1,600 हो गई. जबकि वर्ष 2021 में सितंबर माह के पहले सप्ताह तक एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के 2,000 मरीज आ चुके हैं. डॉक्टरों का कहना है कि पहले यह बीमारी अधिकांशत 40 से 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होती थी. लेकिन अब यह कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है. एम्स में उपचार करा रहे मरीजों में कई मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र महज 18 से 25 वर्ष है.
निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि इलाज में देरी और बीमारी को छिपाने से ब्रेस्ट कैंसर जानलेवा साबित होता है. उन्होंने बताया कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहती. जागरुकता के अभाव में औसतन 8 में से एक महिला इस बीमारी से ग्रसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष जागरुक रहने की नितांत आवश्यकता है.