देहरादून:कोरोना संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए देहरादून में आईसीयू बेड बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में विधायक निधि का प्रयोग भी विधायकों की तरफ से किया जा रहा है. भाजपा विधायक उमेश शर्मा की तरफ से दिए गए ₹71 लाख की विधायक निधि के जरिए कोविड केयर सेंटर में 30 आईसीयू बेड तैयार किए जा रहे हैं. अच्छी बात यह है कि अगले 24 घंटे में ही इन्हें तैयार कर लिया जाएगा. इसके बाद मरीज इनका लाभ ले सकेंगे. विधायक निधि से स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दूसरी तमाम व्यवस्थाओं को भी सुधारने की कोशिश की जा रही है. राज्य के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट भी लगाने के प्रयास चल रहे हैं.
8 जिलों में संक्रमण दर 20% से ज्यादा
राज्य में सीएसआर फंड के जरिए भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें कई बड़ी कंपनियां और ग्रुप भी सरकार को मदद दे रहे हैं. इसी कड़ी में महिंद्रा और अडानी ग्रुप के साथ ही हंस फाउंडेशन भी राज्य में अलग-अलग अस्पतालों में अपनी मदद दे रहे हैं. अल्मोड़ा में अस्पताल को 200 बेड हंस फाउंडेशन की तरफ से दिए जाने की बात कही गई है. चिंता की बात यह है कि राज्य के ऐसे करीब 8 जिले हैं, जहां संक्रमण दर 20% से ज्यादा हो गई है. इसमें देहरादून, उधम सिंह नगर, टिहरी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, चमोली, पौड़ी और पिथौरागढ़ जिले शामिल हैं. जबकि उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर और हरिद्वार में संक्रमण दर 17 प्रतिशत से कम है और हरिद्वार जिले में सबसे कम 6.8 प्रतिशत संक्रमण दर है.
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2500 डॉक्टरों और 1500 नर्सों के भरोसे प्रदेश
राज्य में एक बड़ी चिंता स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को लेकर भी है. प्रदेश में अब भी बड़ी संख्या में चिकित्सकों की कमी देखी जा रही है. हालांकि, चयन आयोग की तरफ से 400 से ज्यादा चिकित्सकों का चयन किया गया था. कुल मिलाकर देखा जाए तो अब भी प्रदेश में 2500 चिकित्सक और 1500 नर्स ही मौजूद हैं. यही राज्य की सवा करोड़ की जनसंख्या की सेहत की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं. हालांकि इस कमी को संविदा के जरिए नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही चिकित्सकों की तैनाती कर कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
इसी बीच कोरोना से संक्रमित होने वालों में बड़ी तादाद डॉक्टर, नर्स व अन्य मेडिकल स्टाफ की भी है. इससे समस्या और बढ़ती जा रही है. इस वजह से एक-एक वार्ड में एक ही डॉक्टर या नर्स पर 100 से 200 मरीजों का भार आ गया है. स्वास्थ्य विभाग के लिए ये अभी बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है.