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मसूरी गोलीकांड की 29वीं बरसी आज, 1994 के वो जख्म याद कर भावुक हो जाते हैं आंदोलनकारी

29th anniversary of Mussoorie shootings 2 सितंबर 1994 को शांत वातावरण के लिए मशहूर पहाड़ों की रानी मसूरी गोलियों की आवाज से गूंज उठी थी. जिससे लोग आग बबूला हो गए और उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग ने और तूल पकड़ लिया. गोलीकांड के बाद पुलिस 46 आंदोलनकारियों को बरेली सेंट्रल जेल ले गई थी. पढ़ें पूरी खबर..

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 2, 2023, 6:00 AM IST

Updated : Sep 2, 2023, 6:32 AM IST

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मसूरी गोलीकांड की 29वीं बरसी

मसूरी:आज मसूरी गोलीकांड की 29वीं बरसी है. इस मौके पर हम आपको पहाड़ों की रानी मसूरी के इतिहास का वह काला दिन बताएंगे, जब 2 सितंबर 1994 को अलग उत्तराखंड राज्य के निर्माण को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर उत्तर प्रदेश पुलिस और पीएसी द्वारा गोलियां चलाई गईं थी. जिसमें 6 लोग शहीद हो गए थे, जबकि कई लोग घायल हो गए थे. खटीमा गोलीकांड और मसूरी गोलीकांड के विरोध में उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक कई सार्वजनिक सभाएं आयोजित की गईं. इन शहीदों के खून से ही 2000 में उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला है.

मसूरी गोलीकांड में 6 लोग हुए थे शहीद

खटीमा गोलीकांड के बाद मसूरी थानाध्यक्ष को बदला गया:1 सितंबर को खटीमा गोलीकांड के बाद रात में ही मसूरी थानाध्यक्ष को बदल दिया गया था. यहां झूलाघर स्थित संयुक्त संघर्ष समिति कार्यालय के चारों ओर पीएसी और पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया था. 1 सितंबर को खटीमा गोलीकांड के बाद मसूरी में लोगों में भारी आक्रोश था, जिसको लेकर 2 सितंबर को आंदोलनकारी खटीमा गोलीकांड के विरोध में शांतिपूर्वक तरीके से एक सितंबर को उधमसिंह नगर खटीमा में हुए गोलीकांड के विरोध में क्रमिक अनशन कर रहे थे,तभी पीएसी व पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बिना पूर्व चेतावनी के गोलियां बरसानी शुरू कर दीं.

खटीमा में हुए गोलीकांड के विरोध में क्रमिक अनशन कर रहे थे लोग

क्रमिक अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों को पुलिस ने पकड़ा:जिसमें आंदोलनकारी बलबीर सिंह नेगी, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी, मदनमोहन ममगाईं, बेलमती चौहान और हंसा धनाई शहीद हो गए. साथ ही सैंट मैरी अस्पताल के बाहर पुलिस के सीओ उमाकांत त्रिपाठी की भी मौत हो गई थी. इसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों की धरपकड़ शुरू की. क्रमिक अनशन पर बैठे पांच आंदोलनकारियों को पुलिस ने एक सितंबर की शाम को ही गिरफ्तार कर लिया था, जिनको अन्य गिरफ्तार आंदोलनकारियों के साथ में पुलिस लाइन देहरादून भेजा गया. वहां से उन्हें बरेली सेंट्रल जेल भेज दिया गया था. वर्षों तक कई आंदोलनकारियों को सीबीआई के मुकदमे भी झेलने पड़े थे.

गोलीकांड के बाद 46 आंदोलनकारियों ले जाया गया बरेली सेंट्रल जेल

आंदोलकारियों का सपना नहीं हुआ पूरा:राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि मसूरी गोलीकांड के जख्म आज भी ताजा हैं. भले ही हमें अलग राज्य मिल गया हो, लेकिन शहीदों के सपने आज भी अधूरे हैं. उन्होने कहा कि हर साल 2 सिंतबर को सभी पार्टी के नेता और सत्ता में बैठे जनप्रितिनिधि मसूरी पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. उत्तराखंड के विकास को लेकर और उनके द्वारा प्रदेश को विकसित किए जाने को लेकर चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का बखान करते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश जिस सपनों का उत्तराखंड शहीदों और आंदोलकारियों ने देखा था. वह उत्तराखंड नहीं बन पाया है. पहाड़ों से पलायन जारी है गांव-गांव खाली हो गए है.

गोलीकांड के बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों की धरपकड़ की शुरू

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46 आंदोलनकारियों ले जाया गया बरेली सेंट्रल जेल:आंदोलनकारियों ने कहा कि गोलीकांड के बाद पुलिस 46 आंदोलनकारियों को बरेली सेंट्रल जेल ले गई और आंदोलनकारियों के साथ बुरा बर्ताव किया गया. उन्होंने कहा कि मसूरी में पुलिस ने जुल्म की सारी हदें पार कर दी थीं. लोगों को घरों से उठाकर मारना-पीटना आम बात हो गई थी. इसके अलावा कहा कि राज्य आंदोलनकारी पहाड़ का पानी, जवानी और पलायन रोकने की मांग लगातार कर रहे हैं.

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Last Updated : Sep 2, 2023, 6:32 AM IST

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