देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन को 20 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन आज भी राज्य आंदोलनकारियों के जेहन में 01 अक्टूबर 1994 को हुए रामपुर तिराहा कांड की तस्वीरें ताजा है. ईटीवी भारत आज रामपुर तिराहा कांड की 26वीं बरसी के अवसर पर अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से आपको 1994 में हुए रामपुर तिराहा कांड की पूरी कहानी से रूबरू कराने जा रहा है.
यह पूरी दांस्तान 01 अक्टूबर 1994 की रात से जुड़ी है. जब उत्तर प्रदेश से अलग कर उत्तराखंड राज्य की मांग कर रहे राज्य आंदोलनकारी 24 बसों में सवार हो कर 2 अक्टूबर को दिल्ली में प्रस्तावित रैली में शामिल होने के जा रहे थे. इसी दौरान गुरुकुल नारसन में आंदोलनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग लगा दी गई . जिससे तोड़कर जब राज्य आंदोलनकारियों ने दिल्ली जाने की ज़िद की तो शासन के निर्देश पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने उन्हें रामपुर तिराहे पर रोकने रोकने की योजना बनाई और पूरे इलाके को सील कर आंदोलनकारियों को रोक दिया.
पढ़ें-आज नहीं चुकाया बिल तो यूपी सिंचाई विभाग की बत्ती होगी गुल
यूपी पुलिस का दिखा बर्बर चेहरा
इस बीच जब राज्य आंदोलनकारियों ने सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी तो अचानक यहां पथराव शुरू हो गया. जिसमें मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह घायल हो गए. जिसके बाद यूपी पुलिस ने बर्बरता की सभी हदें पार करते हुए राज्य आंदोलनकारियों पर दौड़ा-दौड़ाकर लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. वहीं, लगभग ढाई सौ ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों को हिरासत में भी ले लिया गया.
पढ़ें-खुशखबरी: घोड़ाखाल सैनिक स्कूल में अब बेटियों को भी मिलेगा दाखिला