देहरादून: उत्तराखंड में मॉनसून (monsoon season in uttarakhand) सुहाने मौसम के साथ तबाही लेकर भी आता है. इस साल भी उत्तराखंड में मॉनसून का प्रकोप देखने (disasters in monsoon season) को मिल रहा है, लेकिन राहत की बात ये है कि बीते सालों के मुकाबले इस साल उत्तराखंड में मॉनसून ने कम कहर बरपाया (disaster in uttarakhand) है. बीते कुछ सालों के मुकाबले इस साल उत्तराखंड में जानमाल का नुकसान बहुत कम हुआ है, जो प्रदेश के लिए अच्छी बात है.
आपदा के लिहाज से यह मॉनसून सीजन उत्तराखंड के लिए बीते कुछ सालों से थोड़ा बेहतर रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इस बार कोई भी ऐसी बड़ी दुर्घटना या फिर मानसून सीजन के दौरान इस तरह की कोई बड़ा आपदा नहीं आयी है, जिसकी चपेट में ज्यादा लोग आए हो.
उत्तराखंड ने इस बार कम देखा तबाही का मंजर पढ़ें- केदारनाथ हाईवे पर टूटी चट्टान, जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे लोग उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर के अनुसार अब तक मानसून सीजन में कुछ एक घटना ही देखने को मिली है. आपदा प्रबंधन विभाग लगातार अपने आप को रिफॉर्म करते हुए आपदा की हर परिस्थिति से निपटने के लिए 24 घंटे तैयार है.
इस साल भी 26 लोगों ने गंवाई जान: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर ने बताया कि उत्तराखंड में इस साल 15 जून को मॉनसून ने दस्तक दी थी. तब से लेकर अभीतक आपदा से जुड़ी जान अलग-अलग दुर्घटनाओं में 26 लोगों की जान जा चुकी है (26 people died due to disasters). वहीं, 27 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
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पिथौरागढ़ में हुई सबसे ज्यादा मौत:इस साल प्रदेश में सबसे ज्यादा पिथौरागढ़ जिले में 6 लोगों ने आपदा में अपनी जान गंवाई है. इसके बाद रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और चमोली में 4-4 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देहरादून और टिहरी जिले में दो लोग काल के गाल में समाए हैं. इसके अलावा बागेश्वर, चंपावत और पौड़ी में एक-एक व्यक्तियों की मौत हुई है.
वहीं घायलों की बात की जाए तो प्रदेश में इस सबसे ज्यादा घायल रुद्रप्रयाग में 16 लोग हुए है. इसके बाद उत्तरकाशी में 4, टिहरी में 3, पिथौरागढ़ में 3 और चमोली में 1. कुल मिलाकर 27 लोग इस मानसून सीजन में गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
200 से ज्यादा घरों को पहुंचा नुकसान:इस साल मॉनसून सीजन में जो दैवीय आपदा आई है, उसमें कच्चे और पक्के मकान मिलाकर कुल 97 भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं. वहीं, 179 ऐसे मकान हैं, जिन्हें भारी नुकसान पहुंचा है. आवासीय मकानों को सबसे ज्यादा नुकसान पिथौरागढ़ में हुआ है. यहां पर 35 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त और 8 मकान मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है.
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अभी भी चल रहा राहत कार्य:उत्तराखंड में मॉनसून सीजन अधिकारिक रूप से 15 जून से 15 सितंबर तक माना जाता है. इस दौरान सरकार पूरी तरह से अलर्ट मोड में रहती है और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ तमाम अन्य विभाग भी अलर्ट पर रहते हैं. इस वक्त भी प्रदेश के कई जिलों में मानसून के चलते खतरा बना हुआ है. वहीं, पिथौरागढ़ जिले में बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदा के बाद अभी भी तीन रिलीफ कैंप चल रहे हैं, जिनमें 16 परिवारों के 63 लोगों को रखा गया है. आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन इन राहत शिविरों में लगातार काम कर रहे हैं.
पिछले साल से आई थी भयंकर तबाही: आपदा के लिहाज से उत्तराखंड को पिछले साल के मुकाबले इस साल इसीलिए राहत भरा बताया जा रहा है. क्योंकि बीते कुछ सालों में उत्तराखंड ने बड़ी दैवीय आपदा देखी है. बीते साल 2021 के आंकड़ों पर ही अगर हम नजर डाले तो प्रदेश में पिछले साल 303 लोगों की दैवीय आपदाओं ने मौत हुई थी. इसी दौरान 87 लोग चोटिल हुए और 60 लोग अभी लापता है.
वहीं, मवेशियों के अगर हम बात करें तो छोटे बड़े मिलाकर कुल 1100 से ज्यादा मवेशियों का नुकसान हुआ था. दैवीय आपदाओं के प्रकार की अगर बात की जाए तो सबसे ज्यादा प्रभाव फ्लैश फ्लड, क्लाउडबर्स्ट और अतिवृष्टि के चलते 84 लोगों की मौत हुई, 41 लोग घायल हुए और 58 लोग लापता हो गए थे, तो वहीं पिछले साल 2021 में 2 हजार से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ था.
आज का हाल: प्रदेश में फिलहाल लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत आने वाले 70 मार्ग अवरूद्ध हैं, जिसमें से 11 राज्य मार्ग, 04 मुख्य जिला मार्ग, 05 अन्य जिला मार्ग और 50 ग्रामीण मार्ग अवरूद्ध है. इसके अतिरिक्त पीएमजीएसवाई के अन्तर्गत आने वाले 60 मार्ग अवरुद्ध है.
अभीतक 12 प्रतिशत बारिश कम: इस साल मॉनसून सीजन में उत्तराखंड के अंदर 12 प्रतिशत कम बारिश हुई है. सबसे कम बारिश अल्मोड़ा जिले में 405.1 मिमी हुई है, जो सामान्य से 28 प्रतिशत कम है. वहीं इस बार सबसे ज्यादा बारिश बागेश्वर जिले में 1567.6 मिमी हुई है, जो सामान्य से 179 प्रतिशत ज्यादा है. वहीं चमोली में 890 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 73 प्रतिशत ज्यादा है.