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मसूरी गोलीकांड की 25वीं बरसी: पुलिस ने राज्य आंदोलनकारियों पर बरसाई थी ताबड़तोड़ गोलियां

दो सितंबर की सुबह राज्य आंदोलनकारी खटीमा गोलीकांड और अनशनकारियों को उठाने के विरोध में मौन जुलूस निकाल रहे थे. झूलाघर पहुंचते ही पुुलिस और पीएसी ने निहत्थे और निरीह आंदोलनकारियों पर ताबड़तोड़ गोलियां दागीं थी.

मसूरी गोलीकांड

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Published : Sep 2, 2019, 11:26 PM IST

मसूरी: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास में कई ऐसे काले अध्याय भी है जिन्हें याद करके आज भी मसूरी वासियों के शरीर में सिहरन दौड़ जाती है. दो सितंबर 1994 का वो दिन शायद ही पहाड़ों की रानी मसूरी कभी भूल पाए. इसी दिन पुलिस और पीएसी ने राज्य आंदोलनकारियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर थी. जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी. मसूरी गोलीकांड की 25वीं बरसी पर सोमवार को शहर वासियों ने उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया.

1994 में अलग पहाड़ी राज्य की मांग को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन हो रहे थे. दो सितंबर 1994 में मसूरी में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, बलवीर नेगी, रायसिंह बंगाली, मदन सिंह मंगाई और धनपत सिंह ने अलग राज्य के लिए अपनी जान दे दी थी.

मसूरी गोलीकांड की 25 वीं वर्षगांठ पर मसूरी शहीद स्थल पर सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. वहीं संस्कृतिक विभाग ने कई दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमें लोक गायक जितेंद्र पवार ने शहीदों पर आधारित गीत प्रस्तुत कर किए. जिसे सुन कर सभी की आंखें नम हो गई.

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कार्यक्रम में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल सांसद अजय भट्ट, मसूरी विधायक गणेश जोशी, उत्तराखंड क्रांति दल के नेता काशी सिंह ऐरी, धनोल्टी विधायक प्रीतम पंवार और पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला समेत कई गनमानय मौजूद रहे. हालांकि इस कार्यक्रम में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आना था, लेकिन वो नहीं पहुंचे पाए.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि शहीदों की शहादत को किसी भी हाल में भुलाया नहीं जा सकता है. सरकारों ने प्रदेश के विकास के लिए लगातार काम किया है. प्रदेश में सबसे ज्यादा समस्या पलायन और बेरोजगारी की है. इसको लेकर सरकार कई योजनाओं के तहत काम कर रही है.

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मुख्यमंत्री के मसूरी में न आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में मसूरी गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. ऐसे में उनके अन्य क्षेत्रों में कार्यक्रम लगे हैं. वह भी सरकार के एक अंग है और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष है.

धरे-के-धरे रह गए आंदोलनकारियों के सपने

राज्य आंदोलनकारियों के लंबे संघर्ष के बाद उत्तर प्रदेश के अलग होकर उत्तराखंड राज्य का गठन तो गया, लेकिन आज राज्य आंदोलनकारी अपने आप को ठगा सा महसूर कर रहे है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा शहीद स्थल के विस्तार के साथ आंदोलनकारियों के लिए की गई घोषणा पूरी न होने पर आंदोलनकारियों ने नाराजगी व्यक्त की.

आंदोलनकारी विजय रमोला प्रदीप कुकरेती, मनमोहन सिंह मल्ल और काशी सिंह एरी ने कहा कि वो मसूरी और खटीमा गोलीकांड को भूल नहीं पाएंगे. आज भी दिमाग में वो दिन ऐसे ताजा है जैसे कल की बात हो. अगर उन 6 लोगों ने राज्य के लिए अपनी जान नहीं दी होती तो शायद आज उत्तराखंड अलग राज्य बनाना एक सपना पूरा न होता.

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