देहरादून/चंपावत/हरिद्वार/रुड़कीः दुनियाभर में हर साल 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को नशे की लत के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना है. इसी के तहत प्रदेशभर में नशे को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए गए. साथ ही लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक किया. वहीं, आंकड़ों पर नजर डालें तो सूबे में 25% युवा नशे की लत का शिकार हो रहे हैं.
देहरादून में राज्य बाल आयोग की पूर्व अध्यक्ष ऊषा नेगी की ओर से नशा मुक्त भारत अभियान के तहत विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें उन महिलाओं को भी जोड़ा गया, जिनके परिवार में कोई सदस्य या उनका बेटा-बेटी किसी भी तरह के नशे की लत का शिकार है. इस दौरान ऊषा नेगी ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में नशे के खिलाफ कई अभियान चलाए, लेकिन वह इस अभियान को तब तक जारी रखेंगे, जब तक उत्तराखंड का युवा नशे के चंगुल से मुक्त न हो जाए.
निशुल्क काउंसलिंग के लिए टोल फ्री नंबर जारी
नशा मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य बाल आयोग की पूर्व अध्यक्ष ऊषा नेगी की ओर से दो टोल फ्री नंबर 8954080190 और8532998888 भी जारी किए गए. जिसमें संपर्क कर नशे के आदी व्यक्ति को निशुल्क काउंसलिंग दी जाएगी. जिससे उन्हें नशे की लत से दूर किया जा सके.
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नशे की शिकंजे में देवभूमि की युवतियां
मनोवैज्ञानिक डॉक्टर मुकुल शर्मा ने बताया कि प्रदेश में बीते 2-3 सालों में हर साल 20 से 25% युवा नशे के आदी होते जा रहे हैं. इसमें युवतियां भी पीछे नहीं हैं. अगर युवतियों की बात की जाए तो हर साल प्रदेश में नशे की लत की आदि हो रही महिलाओं की संख्या भी 15% के हिसाब से बढ़ रही है. जो एक गंभीर विषय है.
नशे की गिरफ्त में 20% रइसजादे युवा और आर्थिक रूप से कमजोर 50% युवा
देहरादून में ऑपरेशन सत्य के तहत दो महीने चले इस अभियान में 800 युवक-युवतियों की काउंसलिंग की गई थी. इसमें जहां 20% युवा अच्छे पढ़े-लिखे और रईस परिवारों के थे तो वहीं, 50% युवा ऐसे थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुख रखते थे. वहीं, अगर इन युवाओं की उम्र की बात करें तो इसमें 14 साल से लेकर 30 साल से ऊपर तक के युवा शामिल थे.
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