मसूरी:पहाड़ों की रानी मसूरी में सर जॉर्ज एवरेस्ट का 231वां जन्मदिन जॉर्ज एवरेस्ट हाउस पर मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज एवं उनके कुछ साथियों ने मनाया, जबकि पर्यटन विभाग उनके जन्मदिन को भूल गया. पर्यटन विभाग ने करीब 23 करोड़ की लागत से सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और आसपास क्षेत्र का सौंदर्यीकरण एवं पुनर्निर्माण किया जा रहा है. लेकिन पर्यटन विभाग और प्रदेश सरकार सर जॉर्ज एवरेस्ट के जन्मदिवस को भूल गई है, जिसको लेकर मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने नाराजगी व्यक्त की है.
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के जीर्णोद्धार का काम कर रही कंपनी और गोपाल भारद्वाज ने एवरेस्ट हाउस के आसपास पौधरोपण भी किया. गोपाल भारद्वाज ने बताया कि सर जॉर्ज एवरेस्ट वेल्स सर्वेक्षक थे. इसके साथ ही वह साल 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे. सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम पड़ा है. जॉर्ज एवरेस्ट वेल्स ने 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा. मसूरी में ही ब्रिटिश काल के महान सर्वेयर सर जॉर्ज एवरेस्ट ने माउंट एवरेस्ट की खोज कर उसे मानचित्र में उकेरा था और आज भी उसकी यादें मसूरी में ताजा हैं.
भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट की 231वीं जयंती है. रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने साल 1848 में उनका यह सम्मान उनके सर्वे में योगदान के लिए दिया था. यह सर्वेक्षण 1806 में विलियम लैंबटन द्वारा शुरू किया और यह कई दशकों तक चलता गया. उन्होंने बताया कि सर जॉर्ज एवरेस्ट ने मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट हाउस में रहकर आसपास के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था, जिनके जन्मदिन को पिछले कई सालों से उत्तराखंड पर्यटन विभाग धूमधाम से मनाता आया है. लेकिन इस बार जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के जीर्णोद्धार के बाद भी उनका जन्मदिन नहीं मनाया जा रहा हैं.
एवरेस्ट चोटी की खोज करने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड पर स्थित है, जो गांधी चौक से लगभग 6 किमी दूर है. सर जॉर्ज का घर और प्रयोगशाला 1832 में बनाया गया था. उनका आशियाना ऐसी जगह पर बना है जहां से दून घाटी, अलगाड़ नदी और हिमालय का नैसर्गिक सौन्दर्य दिखाई देता है. सर जॉर्ज एवरेस्ट के पास ग्रेट ट्रिगोनोमेट्रिकल सर्वे के सुपरिटेंडेंट का भी दायित्व था, जिसे उन्होंने जिस एक्यूरेसी के साथ अंजाम दिया, आज भी उसकी मिसाल दी जाती है. वहीं सर जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देखरेख में है.
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