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सिडकुल घोटाला: 21 और फाइलों में जांच मुकम्मल, कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

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Published : Sep 8, 2020, 7:28 PM IST

जिस तेजी के साथ एसआईटी सिडकुल घोटाले मामले की जांच को आगे बढ़ा रही है. उससे कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय है. मंगलवार को सिडकुल घोटाला से जुड़ी करीब 21 फाइलों का निस्तारण किया गया है.

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सिडकुल घोटाला

देहरादून: स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रीरियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (सिडकुल) निर्माण घोटाले में एसआईटी ने 21 और फाइलों जांच पूरी कर ली. फाइलों की जांच के दौरान भारी अनियमितताएं सामने आई है. इन सभी फाइलों में बिल बुक और निर्माण मेजरमेंट जैसे कई अहम दस्तावेज गायब मिले हैं. ऐसे में सिडकुल निर्माण संबंधित अधिकारियों को 22 सितंबर तक गायब दस्तावेजों को जमा कर सफाई देने का अंतिम मौका दिया गया है.

कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज.

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इस मामले में गढ़वाल रेंज एसआईटी अध्यक्ष आईजी अभिनव कुमार ने कहा कि यदि अधिकारी फाइलों से गायब दास्तावेज 22 सितंबर तक पेश नहीं करते हैं तो वे इसकी अंतिम रिपोर्ट शासन को देंगे. ताकि सरकार से अनुमति मिलने बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की सके.

एसआईटी को सात जिलों की 20 फाइलों में भारी अनियमितता मिली

जिला फाइलों की संख्या
देहरादून 7
उधम सिंह नगर 6
हरिद्वार 3
नैनीताल 2
पिथौरागढ़ 2
अल्मोड़ा 1

सिडकुल निर्माण घोटाले की 325 से अधिक फाइलें

बता दें कि साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल निर्माण घोटाले की जांच के लिए साल 2018 में एसआईटी का गठन किया गया था. जिसकी जिम्मेदारी साल 2018 में तत्कालीन गढ़वाल आईजी दी गई थी. इस दौरान एसआईटी के सामने सिडकुल घोटाले से जुड़ी 325 से अधिक फाइलें आई थी, जिनकी पड़ताल की जा रही है. दो महीने पहले गढ़वाल रेंज की कमान संभालने वाले आईजी अभिनव कुमार ने इस मामले की जांच शुरू की. जिन्होंने चरणबद्ध तरीके से 2021 तक जांच को पूरा करने के आदेश दिए थे. इसी के तहत मंगलवार को 21 फाइलों की जांच पूरी की गई. हालांकि, इस बार पौड़ी गढ़वाल जनपद में तकनीकी समस्या आने के कारण घोटाले से जुड़ी फाइलों की समीक्षा नहीं हो सकी. ऐसे में जल्दी पौड़ी गढ़वाल से जुड़ी फाइलों की जांच पड़ताल भी पूरी की जाएगी.

क्या है सिडकुल घोटाला

साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में कई निर्माण कार्य कराए गए थे. जिसमें मानकों के विपरित करीब 80 फीसदी से ज्यादा कामों का ठेका उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को दिया गया था, जो जांच में मुख्य पहलू है. ऑडिट के दौरान निर्माण कार्यों में भी घोर अनियमितताएं सामने आई थी. सरकारी धन का दुरुपयोग करने के लेकर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया था. ये घोटाला करीब 1000 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है.

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