उत्तराखंड में 17% आबादी गरीब, इन जिलों में सबसे ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे - poverty in almora
प्रदेश की 17.72 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीब की श्रेणी में आती है. अल्मोड़ा जनपद में गरीबी का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है. यहां, बहुआयामी गरीबी का प्रतिशत 25.65 है. वहीं, बहुआयामी गरीबी की श्रेणी में उत्तराखंड 5वें पायदान पर है.
देहरादून
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Published : Jun 18, 2022, 2:17 PM IST
देहरादून: उत्तराखंड की 17.72 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीब की श्रेणी में आती है. देशभर की बात करें तो उत्तराखंड इस श्रेणी में 15वें पायदान पर है. राज्य में भी अल्मोड़ा जनपद में गरीबी का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है. आर्थिक सर्वे के अनुसार, अल्मोड़ा में बहुआयामी गरीबी का प्रतिशत 25.65 है, जो राष्ट्रीय औसत 25.01 से ज्यादा है.
इसके बाद हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले राष्ट्रीय औसत के काफी करीब हैं. ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र की तुलना में हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबी 29.55 फीसदी एवं नगरीय क्षेत्र में चंपावत में 20.90 फीसदी है, जो उत्तराखंड में सर्वाधिक है. जबकि देहरादून जिले में सबसे कम 6.88 फीसदी बहुआयामी गरीबी हैं.
इस सूची में राष्ट्रीय औसत पर उत्तराखंड 17.72 फीसदी आबादी के साथ 15वें स्थान पर है. उत्तराखंड की 21.94 फीसदी ग्रामीण एवं 9.89 फीसदी शहरी आबादी इस श्रेणी में आती है. बिहार 51.91, झारखंड 42.16 और यूपी 37.79 फीसदी प्रभावित आबादी के साथ क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. इस श्रेणी में केरल में 0.71फीसदी आबादी आती है, जो सबसे कम है. इसके बाद गोवा और सिक्किम हैं.
क्या होती है बहुआयामी गरीबी:परंपरागत रूप से गरीबी निर्धारण के बजाय अब सरकार का जोर बहुआयामी गरीब की पहचान पर है. इससे गरीबी का आकलन सिर्फ आर्थिक आधार पर करने के बजाय सामाजिक, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सूचकांक के आधार पर होता है. इसमें पोषण, बाल-युवा मृत्युदर, कुकिंग ईंधन का प्रकार, शिक्षा की स्थिति, स्कूलिंग के वर्ष, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूल की उपस्थिति, बिजली- पेयजल-शौचालय की उपलब्धता, आवास और बैंक खाता की उपलब्धता को आंक कर गरीबी का निर्धारण किया जाता है.