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जौनसार बावर में 15 गांवों के लोगों ने 40 साल बाद मनाई दिवाली, चालदा महासू बरसाते हैं कृपा

Diwali Celebrated in Dasau Village उत्तराखंड का जौनसार बावर एक क्षेत्र ऐसा है, जहां मुख्य दीपावली के बाद दिवाली मनाई जाती है. इसे 'बूढ़ी दिवाली' कहा जाता है. ऐसे में यहां मुख्य दिवाली उतनी खास नहीं होती है, जितना बूढ़ी दिवाली होती है. इस बार मुख्य दिवाली भी खास रही. यहां 15 गांवों के लोगों ने 40 साल बाद दिवाली मनाई. इसकी मुख्य वजह चालदा महासू देवता का दसऊ गांव में विराजमान होना था.

Diwali Celebrated in Dasau Village
जौनसार बावर में दिवाली

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 13, 2023, 5:05 PM IST

Updated : Nov 13, 2023, 5:38 PM IST

जौनसार बावर में दिवाली का जश्न

विकासनगरः जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के चकराता विधानसभा क्षेत्र के 15 गांवों के लोगों ने 40 साल बाद दीपावली का पर्व मनाया. यहां मुख्य दीपावली के ठीक एक महीने बाद 'बूढ़ी दिवाली' मनाने की परंपरा है, लेकिन इस बार जौनसार बावर क्षेत्र के इष्ट देवता के रूप में पूजे जाने वाले छत्रधारी चालदा महासू देवता दसऊ गांव में विराजमान हैं. ऐसे में यहां नई दिवाली मनाई गई. खास बात ये रही है कि इस दिवाली को पारंपरिक तरीके से यानी बूढ़ी दिवाली की तरह मनाया गया.

जौनसार बावर में खास होती है दिवाली

बता दें कि जौनसार बावर के इष्ट देवता माने जाने वाले चार महासू देवता में लोगों की अटूट आस्था है. चार महासू देवता में सबसे छोटे माने जाने वाले छत्रधारी चालदा महाराज मौजूदा समय में खत पट्टी के दसऊ पशगांव के दसऊ मंदिर में विराजमान हैं. मान्यता है कि जिस खत पट्टी में चालदा देवता विराजते हैं, उस क्षेत्र की खत पट्टी से जुड़े गांव नई दीपावली को पारंपरिक तरीके से मनाते हैं.

मशाल लेकर दिवाली मनाते ग्रामीण

जहां एक ओर पूरा देश नई दीपावली से जगमग था तो वहीं दसऊ गांव में स्थित चालदा महासू महाराज के मंदिर में 15 गांवों के ग्रामीणों ने देव दर्शन कर भीमल की पतली लकड़ी की मशाल जलाकर दीपोत्सव मनाया. साथ ही पूरी रात पारंपरिक लोकनृत्य किया और जमकर थिरके. इस दौरान पूरा दसऊ गांव महासू देवता के गीतों और जयकारों से गुंजायमान रहा.
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वहीं, ग्रामीणों ने छत्रधारी चालदा महाराज से क्षेत्र और प्रदेश की खुशहाली की कामना की. बता दें कि चालदा महासू महाराज चलायमान देवता हैं. अपने प्रवास पर दसऊ गांव में करीब दो सालों तक विराजमान रहेंगे. उसके बाद चालदा महासू देवता अगले पड़ाव के लिए रवाना होंगे. चालदा महासू महाराज हिमाचल प्रदेश का भी भ्रमण करते हैं.

दसऊ गांव में महासू देवता का मंदिर

खत स्याणा ( गांव के या इलाके के वरिष्ठ व्यक्ति) शूरवीर सिंह चौहान ने बताया कि छत्रधारी चालदा महासू महाराज मई महीने में समाल्टा से दसऊ गांव आए थे. जो इस वक्त दसऊ गांव के नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हैं. देवता के आगमन होने से खत पट्टी के 15 गांवों के लोगों ने इस बार 40 साल बाद नई दीपावली पारंपरिक रूप से मनाई. जिसमें सभी लोगों ने देवता के दर्शन किए और खुशहाली की कामना की.

Last Updated : Nov 13, 2023, 5:38 PM IST

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