देहरादून: उत्तराखंड में मौजूदा समय में भले ही इतनी गर्मी ना पड़ रही हो, लेकिन, गढ़वाल और कुमाऊं में आग ने अपना तांडव दिखाना शुरू कर दिया है. आलम यह है कि आए दिन मुख्यालय के आपदा प्रबंधन विभाग में रोजाना कई तरह की आग की घटनाओं को दर्ज किया जा रहा है. गर्मी की शुरुआती दिनों में ही उत्तराखंड के अलग अलग इलाकों से आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इन घटनाओं में आर्थिक नुकसान के साथ ही जनहानि भी हो रही है. इन मामलों में तंत्र की बात करें को वो साफ तौर पर फेल दिखा. ऐसे में कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
घर की आग ने बता दिया था कितने तैयार हम:उत्तराखंड में बीते दिनों पहला हादसा उस वक्त हुआ जब राजधानी देहरादून के विकास नगर स्थित एक छोटे से गांव में सिलेंडर की आग से पूरा घर तबाह हो गया. इस आग की चपेट में चार मासूम बच्चे आ गये. इस घटना के बाद तंत्र के फेलियर की बात भी सामने आई. यहां घंटों बाद भी आग पर काबू नहीं पाया गया. फायर ब्रिगेड के वाहनों में पानी ही नहीं था. तब पड़ोसी राज्य हिमाचल से सहायता के तौर पर पानी मंगवा कर आग पर काबू पाया गया. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आपदा के समय राज्य का आपदा प्रबंधन आग की घटनाओं से निपटेगा.
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वनाग्नि से दो लोगों की मौत:हैरानी तो तब हुई जब जंगलों की आग ने भी दो युवकों को मौत की घाट उतार दिया. उत्तराखंड के चौबट्टाखाल में चीड़ के जंगलों में लगी आग इतनी भयानक थी कि इसकी चपेट में दिल्ली से आये दो युवक आ गये. इन युवकों ने सोचा कि क्यों ना जंगलों में लग रही आग को बुझाकर प्राकृतिक को बचाया जाए, इसी कोशिश में वह जंगल की आग की चपेट में आ गये. बताया जाता है कि दोनों युवक आग से बचने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गए थे, लेकिन, उस आग ने उस पेड़ को भी जलाकर राख कर दिया. जब तक 28 साल के कुलदीप और 26 साल के विकास सिंह को बचाया जाता तब तक उन्होंने दम तोड़ दिया. दोनों युवकों ने सतपुली के स्वास्थ्य केंद्र में दम तोड़ा. यह दोनों युवक दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे. घटना के बाद राज्य सरकार ने इस घटना के बाद सभी घटनाओं की तरह ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए. अब यह मजिस्ट्रेट जांच आखिरकार कब पूरी होगी, इसमें क्या कुछ होगा, यह इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य में सड़क दुर्घटना हो या आग से लगने वाले नुकसान को लेकर हमेशा ही जांच बैठाई जाती है. इस जांच में ना तो किसी की जिम्मेदारी तय होती है और न ही कोई कार्रवाई होती है.
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गढ़वाल में 63 जगहों पर आग की घटनाएं: खबर लिखे जाने तक भी उत्तराखंड में कई इलाकों में आग लगने की खबरें वन मुख्यालय को पहुंच रही हैं. अब तक गढ़वाल में 63 जगह आग की घटना रिकॉर्ड की गई हैं. जिसमें आरक्षित वन क्षेत्र 37.5 और सिविल वन पंचायत 54.38 शामिल हैं. अगर प्रभावित क्षेत्र की बात करें 291.88 क्षेत्र प्रभावित हुआ है. आग की घटनाओं में अब तक 463701 रुपए की आर्थिक क्षति हो चुकी है. हैरानी की बात यह है कि गढ़वाल में बीते 2 दिन पहले 11 मार्च को चौबट्टाखाल में वनाग्नि में मारे गये दो युवकों को सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया है. अभी भी सरकारी आंकड़ों में आग से मानव मृत्यु का आंकड़ा शून्य है.
कुमाऊं में 37 जगहों पर आग की घटनाएं: कुमाऊं की अगर बात करें तो अब तक 37 जगहों पर आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. जिसमें 16 फीसदी सिविल वन क्षेत्र शामिल है. इसमें 44% वन क्षेत्र शामिल है. कुमाऊं में 36.52 क्षेत्र आग से प्रभावित हो रहा है. कुमाऊं में 14670 करोड़ रुपए की वन संपदा का नुकसान हुआ है. कुमाऊं में भी किसी तरह की कोई भी जनहानि या पशु हानि की घटना फिलहाल रिकॉर्ड नहीं की गई है. लगभग 3 दिन में 45 हेक्टेयर जमीन को वनाग्नि से नुकसान पहुंचा है.
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इन नंबरों पर दे सकतें है सूचना: अगर आपके आस पास भी कोई भी वनाग्नि की घटना हो या फिर इससे जुड़ी कोई जानकारी हो तो आप राज्य व वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन विभाग के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं. यह नंबर 1801 804 141 है.आप दूसरे नंबर पर भी फोन करके सूचना दे सकते हैं. यह नंबर 0135 274 4558 है.आप व्हाट्सएप पर जानकारी या मैसेज भेज कर भी शासन प्रशासन और सरकार को इस बारे में सूचित कर सकते हैं. इसके लिए दो व्हाट्सएप नंबर है, जिसमें पहला नंबर 93892 37428, जबकिदूसरा नंबर 72683 04718 है.
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क्या कहते हैं अधिकारी: मुख्य वन संरक्षक व नागरिक एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी निशांत वर्मा बताते हैं कि अब तक उत्तराखंड में आग लगने की लगभग 128 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. इसमें 188.4 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुई है. अन्य घटनाओं का भी आकलन किया जा रहा है. उन्होंने कहा चौबट्टाखाल में दो युवकों की मौत के मामले में डीएफओ से रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिरकार मौके पर क्या हुआ. निशांत वर्मा कहते हैं जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी वैसे-वैसे आग लगने की घटनाओं में भी इजाफा होगा. हमारा शासन प्रशासन गढ़वाल और कुमाऊं के तमाम जिलों में पूरी तरह से तैनात है. हमने पूर्व की घटनाओं को देखकर भी बहुत कुछ सीखा है. वनाग्नि और दूसरी इस तरह की घटनाओं के लिए हमें अपने कर्मचारियों के साथ-साथ हमें उत्तराखंड वासियों को तैयार करना होगा.