देहरादून:शहरों के बाद अब उत्तराखंड के गांवों में भी स्वच्छता की अलख जगने लगी है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में कूड़ा निस्तारण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया था. ऐसे में इस प्रोजेक्ट ने इन गांवों की तस्वीर बदल दी है. वहीं, इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद उत्तराखंड पंचायती राज विभाग अब प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का मन बना रहा है.
बता दें कि दो साल पहले एक प्रयोग के तौर पर डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की गई थी. ताकि शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी कूड़े का निस्तारण किया जा सके. प्रोजेक्ट के तहत अक्टूबर 2017 में डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों के लिए भोगपुर में एक मॉडल कलस्टर लगाया गया था. यहां लोगों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी दी गई. इस प्रोजेक्ट की खासियत ये थी कि 8 ग्राम पंचायत मिलकर इस काम को कर रहे थे, जो अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था.
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इस प्रोजेक्ट का असर है कि आज न सिर्फ इससे ये ग्राम पंयाचत साफ सुथरी नजर आ रही है, बल्कि यहां के लोगों की मानसिकता में भी बड़ा परिवर्तन आया है. ग्रामीण जगंदमा प्रसाद पैन्युली ने बताया कि ये इस अभियान का ही असर है कि जो कूड़ा पहले इकट्ठा होकर सड़कों और नालियों में गंदगी फैलता था. आज बड़ी आसानी से उसका निस्तारण किया जा रहा है और ग्रामीणों का इसमें पूरा सहयोग है.
वहीं, पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल कृशाली ने बताया कि दो साल पहले आठ ग्राम पंचायत की जन जागृति समिति बनी थी. समिति ने निजी बैक के सीएसआर फंड से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आसान भाषा में कहें तो कूड़ा निस्तारण के लिए भोगपुर में कलस्टर का निर्माण किया था. इस दौरान ग्रामीणों को कूड़ा पृथकीकरण (जैविक-अजैविक) की जानकारी दी गई. साथ ही कूड़ा निस्तारण के लिए पूरे क्षेत्र में दो वाहन चलाए गए, जो घर-घर जाकर कूड़ा एकत्रित करते थे.
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ग्रामीण स्वच्छता कलस्टर के अध्यक्ष पूर्णानंद तिवारी ने बताया कि आठ ग्राम पंचायतों के सयुक्त प्रसाय से शुरू किए गए इस प्रयोग से अन्य ग्राम पंचायत भी प्रभावित हुई. जिसमें बाद इसमें तीन और ग्राम पंचायत जुड़ी. ये इस मुहिम का ही असर है यहां लोग सफाई के ऊपर गीत तक गाने लगे हैं.