देहरादून: उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवा की बेहद ज़रूरी कड़ी 108 एंबुलेंस सेवा के एक साल पूरे हो गए हैं. कैंप (Community Action Through Motivation Program) संग अनुबंध के चलते हमेशा आलोचनाओं में रहने वाली 108 सेवा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. जिसकी तस्दीक खुद मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने की है. हमारी स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए, पहाड़ सी चुनौतियों पर 108 सेवा कितनी खरी उतरी है.
उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 108 आपातकालीन सेवा की शुरुआत की थी. सरकार बदलते ही प्रदेश की 108 सेवा का परफॉर्मेंस भी गिरना शुरू हो गया था. 2019 में 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन हासिल करने वाली ‘कैंप’ के लिए इस काम में चुनौतियां बड़ी थीं. ‘कैंप’ के सामने सबसे बड़ी चुनौती एक समय बेहद प्रतिष्ठित रही और फिर पूरी तरह नाकाम साबित हो चुकी 108 एंबुलेंस सेवा की साख को फिर से बहाल करना था.
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चुनौती भरी शुरुआत
शुरुआती दौर नई कंपनी के लिए काफी चुनौती भरा रहा. लेकिन चुनौतियों के साथ-साथ 108 सेवा ने कई कीर्तिमान भी स्थापित किए. नई कंपनी के साथ अनुबंध होते ही एंबुलेंस चालक संगठन 'कैंप' के खिलाफ खड़ा हो गया. साथ ही शुरुआती दौर में कई गाड़ियों के दुर्घटनाग्रस्त होने से कंपनी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.