कालाढूंगी/हल्द्वानी/पिथौरागढ़/मसूरी: भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और आरएसएस एस के शुभचिंतक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है. इसी क्रम में कालाढूंगी, हल्द्वानी, पिथौरागढ़, और मसूरी में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती धूमधाम से मनाई गई.
बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना संपुर्ण जीवन देश और समाज के उद्धार में लगाया था. उनका का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय और माता का नाम रामप्यारी था. 1937 के दौरान दीनदयाल उपाध्याय कानपुर से बी०ए० की पढ़ाई कर रहे थे. तभी अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आये. इसी दौरान उन्हें संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का सान्निध्य मिला. पढ़ाई पूरी होने के बाद उपाध्याय जी ने संघ का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण किया और तब से वो संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये, और आजीवन संघ के प्रचारक रहे.
संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये. 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई. उपाध्याय जी साल 1967 तक इस दल के महामंत्री रहे. इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने ही प्रस्तुत किये थे. तभी डॉ० मुखर्जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कार्यकुशलता और क्षमता से प्रभावित होकर कहा था, कि यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा ही बदल दूं.
1967 में कालीकट अधिवेशन में दीन दयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए. जिसके बाद साल 1968 में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई. जिसके बाद पूरा देश शोक में डूब गया.