देहरादून: हिमालय पुत्र के नाम से मशहूर स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा की आज 100वीं जयंती है. उत्तर प्रदेश के 8वें मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा का जन्म उत्तराखंड के बुघाणी में 25 अप्रैल 1919 को हुआ था. इसके बाद उनका परिवार इलाहाबाद में रहने लगा. हेमवती नंदन बहुगुणा होने के साथ ही समाजसेवी भी रहे. 17 मार्च 1989 में ओहियो, अमेरिका में हेमवती नंदन बहुगुणा की बाइपास सर्जरी फेल होने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. बहुगुणा का जीवन काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा. आइये डालते हैं एक नज़र-
बहुगुणा का प्रारंभिक जीवन
- बहुगुणा की प्रारंभिक शिक्षा पौड़ी गढ़वाल में हुई. आगे की पढ़ाई उन्होंने देहरादून स्थित डीएवी कॉलेज और राजकीय विद्यालय इलाहाबाद से की.
- साल 1946 में बहुगुणा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की.
- स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा के पिता का नाम रेवती नंदन बहुगुणा और माता का नाम दीपा देवी था.
- हेमवती नंदन बहुगुणा ने दो शादियां की थी. पहली पत्नी का नाम धनेश्वरी देवी और दूसरी पत्नी का नाम कमलादेवी था. उनके दो बेटे और एक बेटी है.
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बहुगुणा का राजनीतिक जीवन
- हेमंती नंदन बहुगुणा का राजनीतिक जीवन सन् 1942 से शुरू हुआ. इस दौरान बहुगुणा ने विद्यार्थी आंदोलन में खुलकर भाग लिया. हिमालय पुत्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्टूडेंट यूनियन वॉकिंग कमेटी के सदस्य और फेडरेशन में सेक्रेटरी बने. साथ ही कई ट्रेड यूनियन का गठन भी किया.
- साल 1960-69 में बहुगुणा जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और महासचिव रहे. साल 1971 में हेमवती नंदन पहली बार सांसद बने और उन्हें जूनियर मिस्टर का पद दिया गया. 8 नवंबर 1973 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और उनका कार्यकाल 4 मार्च 1974 को समाप्त हो गया.
- बहुगुणा की ग्रामीणों, मजदूरों, बुद्धिजीवियों, अल्पसंख्यकों और नौकरी पेशा लोगों के बीच अच्छी पैठ थी. इसी वजह से साल 1974 की चुनाव में उन्हें दोबारा मौका मिला. विपक्षी चंद्रभानु गुप्ता की जमानत जब्त कर दी थी.
- हिमालय पुत्र साल 1977 में केंद्रीय मंत्री भी रहे. फिर साल 1977 में इमरजेंसी के दौरान हेमवती नंदन बहुगुणा ने इंदिरा गांधी से नाराज होकर अपनी अलग पार्टी बनायी. पार्टी का नाम उन्होंने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी रखा. उस दौरान चुनाव में उनकी पार्टी को 28 सीटें मिली. इसके बाद बहुगुणा ने जनता दल में अपनी पार्टी का विलय किया.
- साल 1980 में जनता दल पार्टी के बिखराव के बाद बहुगुणा दोबारा कांग्रेस में शामिल हो हुए. फिर लोकसभा चुनाव 1980 में बहुगुणा गढ़वाल संसदीय सीट से जीते लेकिन कैबिनेट में जगह न मिलने की वजह से उन्होंने 6 महीने में ही कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी. साल 1982 में उपचुनाव हुए, जिसमें बहुगुणा ने फिर से जीत दर्ज की.
अमिताभ बच्चन की वजह से लिया संन्यास
हेमवंती नंदन बहुगुणा ने साल 1984 में राजनीतिक कैरियर से सन्यास लिया. बहुगुणा के इस कदम के पीछे की एक बड़ी वजह अमिताभ बच्चन को माना जाता है. दरअसल, साल 1984 में चुनाव के दौरान इलाहाबाद सीट पर बहुगुणा के खिलाफ, राजीव गांधी ने कांग्रेस पार्टी से अमिताभ बच्चन को खड़ा किया था. उस समय बहुगुणा का राजनीतिक कद बहुत बड़ा था और अमिताभ बच्चन सिर्फ एक फिल्मी हीरो थे. माना जा रहा था कि अमिताभ बच्चन हार जाएंगे, लेकिन अमिताभ बच्चन ने बहुगुणा को करीब एक लाख 87 हजार वोटों से हराया. इतनी ज्यादा अंतर से हारने के बाद बहुगुणा ने राजनीति से सन्यास ले लिया.