देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार 2.0 के 30 जून को 100 दिन पूरे हो जाएंगे. धामी सरकार के इन 100 दिनों के कामकाज का लेखा-जोखा देखें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई बड़े फैसले लिए हैं. वहीं, सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद भी सभी मंत्रियों के मंत्रालयों के रिपोर्ट कार्ड देखेंगे और उसकी समीक्षा करेंगे. हालांकि, किसी भी सरकार को 100 दिन में जज कर पाना मुश्किल होता है, लेकिन फिर भी ये जानना बेहद जरूरी है कि सरकार की दिशा और दशा इन 100 दिनों में कैसी रही?
पुष्कर सिंह धामी ने 27 मार्च 2022 को बतौर मुख्यमंत्री अपना पदभार ग्रहण किया था. हालांकि, उस समय पुष्कर सिंह धामी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाना कांटों भरे ताज से कम नहीं था. क्योंकि, मुख्यमंत्री होते हुए भी वो खटीमा से चुनाव हार गए थे, फिर भी पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा किया और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज किया.
धामी सरकार 2.0 के 100 दिन. ये भी पढ़ें: फोन पर बात करते-करते जमीन पर बैठ गईं राधा रतूड़ी, दिन भर होती रही सादगी की चर्चा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उपचुनाव जीतकर सरकार और अपनी लाज बचाना था. पार्टी ने तय किया कि मुख्यमंत्री धामी को चंपावत से उपचुनाव लड़ाया जाएगा. चंपावत उपचुनाव में न सिर्फ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जीत दर्ज की, बल्कि रिकॉर्ड भी बनाया. अब बात करते हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन वादों की जो उन्होंने चुनावों में प्रदेश की जनता से किए थे.
कई घोषणाओं को किया पूरा: चंपावत उपचुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता को ये मैसेज देने की पूरी कोशिश की कि बीजेपी ने मेनिफेस्टो में जिन घोषणाओं का जिक्र किया है, उन पर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. 100 दिनों के अंदर ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को न केवल कैबिनेट में मंजूरी दी, बल्कि इस पर कमेठी का गठन भी किया. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की घोषणा की थी.
इन घोषणाओं को धरातल पर उतारा:इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी कर्मचारियों का भत्ता बढ़ाया. वहीं, समाज कल्याण विभाग से जारी होने वाली पेंशन की राशि भी बढ़ाई गई. इसके साथ ही शिक्षामित्रों का मानदेय भी 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार किया गया. इन घोषणाओं को पूरा करके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा और जनता को मैसेज दिया कि बीजेपी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है.
ये भी पढ़ेंःCM धामी ने स्मार्ट मल्टीपल प्रशासनिक भवन की रखी आधारशिला, 8.80 करोड़ में होगा तैयार
इन सभी घोषणाओं के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना वो वादा भी पूरा किया, जिसमें उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को हर साल तीन सिलेंडर देने की बात कही थी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस घोषणा को भी जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा. इसके साथ ही इन 100 दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई ऐसे फैसले लिए, जिनका असर आने वाले दिनों में दिखाई देगा.
भ्रष्ट अधिकारियों को बड़ा संदेश:इन सबसे अलग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक नजीर भी पेश की है कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. अपने 100 दिन के कार्यकाल में धामी सरकार ने आय अधिक संपत्ति के मामले में फंसे आईएएस अधिकारी रामविलास यादव को जेल भेजकर भ्रष्टाचारियों को बड़ा संदेश दिया है.
ये भी पढ़ेंःIAS रामविलास यादव की पत्नी और बेटे-बेटी को विजिलेंस का समन, आय से अधिक संपत्ति का है मामला
यहां फेल हुई धामी सरकार:धामी सरकार अपनी कई योजनाओं और घोषणाओं को 100 दिनों के अंदर धरातर पर उतारने में तो कामयाब रही, लेकिन देश की सबसे बड़ी उत्तराखंड चारधाम यात्रा को मैनेज करने में धामी सरकार फेल हो गई. उत्तराखंड चारधाम यात्रा के शुरूआती चरण में जिस तरह से श्रद्धालुओं की मौत हुई, उसने धामी सरकार की किरकिरी करा दी. विपक्ष को भी सरकार पर हमला करने के मौका मिल गया.
हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं कि जिस तरह के रिकॉर्ड तोड़ संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड चारधाम यात्रा में पहुंचे, उन्हें संभाल पाना सरकार के बस से बाहर हो गया था. सबसे ज्यादा फजीहत तो सरकार की उस समय हुई, जब उत्तराखंड चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं के कारण श्रद्धालु लगातार दम तोड़ रहे थे और सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज दुबई में कार्यक्रम कर रहे थे और पर्यटकों को उत्तराखंड आने का न्यौता दे रहे थे.
सड़क हादसों की वजह से बैकफुट पर आई सरकार: इन 100 दिनों में धामी सरकार के लिए सबसे मुश्किल काम सड़क हादसों में कमी लाना था. जून महीने में लगातार हुए सड़क हादसों ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक रोज कोई न कोई सड़क हादसा हो रहा था. हालांकि, अब दो दिन पहले ही सड़क हादसों में कमी लाने के लिए खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी और चारधाम यात्रा मार्ग के किनारे क्रैश बैरियर लगाने के निर्देश दिए.
ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस बने विपिन सांघी, राज्यपाल ने दिलाई शपथ
धामी सरकार की चुनौतियां: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने पांच साल का लंबा कार्यकाल बचा हुआ है, लेकिन पांच सालों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने कई चुनौतियां भी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार मंचों से कह चुके हैं कि आने वाला कल उत्तराखंड का होगा. उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्यों की श्रेणी में होगा, लेकिन ये आसान नहीं है, क्योंकि धामी सरकार के आगे चुनौतियां कम नहीं हैं.
वादों और बातों से अलग हकीकत पर बात की जाए तो उत्तराखंड को अपनी व्यवस्थाएं चलाने के लिए केंद्र की तरफ देखना पड़ रहा है. राज्य सरकार का खजाना इस वक्त खाली है. सरकार की स्थिति इस समय आमदमी अट्ठन्नी और खर्चा रुपया वाली हो रखी है. राज्य सरकार पर्यटन पर पूरा फोकस कर रही है, ताकि उसकी आमदनी बढ़ सके.
खनन और आबकारी विभाग से राज्य को अच्छा खासा राजस्व तो मिलता है, लेकिन उतना भी नहीं कि प्रदेश को विकास के पंख लग जाएं. ऐसे में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने पर सरकार को कुछ बड़ा करना होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास अभी लंबा वक्त है, लिहाजा राज्य सरकार को आय के स्रोत बढ़ाने के साथ-साथ राज्य को पावर सेक्टर के साथ-साथ पर्यटन और दूसरे सेक्टरों पर भी ध्यान रखना होगा. साथ ही पलायन रोकने के लिए कोई ठोस नीति भी बनानी पड़ेगी, ताकि अपने किये वादों पर धामी खरा उतर सकें.