देहरादून: आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के लिहाज से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मैच के आखिरी ओवरों में उतारे गए खिलाड़ी जैसे ही है और धामी अपनी इस भूमिका को बखूबी निभा भी रहे हैं. मात्र कुछ महीनों की पारी में ऐसा कोई एरिया नहीं है, जहां पर पुष्कर सिंह धामी स्ट्रोक लगाने में कमी कर रहे हो. सीएम धामी स्लॉग ओवरों में उतारे गए एक मंझे हुए खिलाड़ी साबित हो रहे हैं.
बात रोजगार की करें या फिर उत्तराखंड में ज्वलंत हो रहे भू-कानून की. बात सरकार की गले की फांस बन चुका देवस्थानम बोर्ड की हो या फिर मुख्यमंत्री की घोषणा की. इस लिस्ट की हर जगह युवा और तेजतर्रार मुख्यमंत्री के रूप में मैदान में उतारे गए आखिरी ओवरों के धामी बिल्कुल खेल भी वैसे ही रहे हैं. मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए हुए पुष्कर सिंह धामी को 100 दिन पूरे हो गए हैं. इन 100 दिनों के परफॉर्मेंस पर अगर नजर डाली जाए तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपलब्धियां सीमित समय के मुकाबले काफी ज्यादा देखने को मिलती हैं.
रोजगार को लेकर युवाओं को भरोसा:रोजगार प्रदेश के लिए हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है और आगे भी रहेगा. पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे को भुनाते हुए प्रदेश में 24 हजार रिक्त पदों को भरने के साथ-साथ सरकारी भर्तियों में 1 साल की छूट के नारे को आगे बढ़ाया. तो वहीं, अपनी तरफ से उन्होंने अगले साल मार्च तक सरकारी आवेदनों में शुल्क माफी को लेकर एक कदम और आगे बढ़ाते हुए युवाओं और बेरोजगारों को भरोसा दिलाया. ऐसे में बेरोजगार युवाओं को भले ही रोजगार इतनी तत्परता से ना मिल पाए लेकिन कहीं ना कहीं बेरोजगार युवाओं को धामी पर भरोसा हुआ है. धामी ने ही युवाओं को एक उम्मीद भी दी है.
भू-कानून की पहल:देवभूमि उत्तराखंड की शांत वादियों में अचानक भू-कानून का मुद्दा तेजी उठा है. उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सख्त भू-कानून की मांग को लेकर लोग सड़क पर हैं. सीएम धामी के सत्ता संभालते ही धामी के सामने भू-कानून की मांग और तेज होने लगी थी. ऐसे में सीएम धामी ने इस मामले को नजरअंदाज करने की गलती नहीं की.
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भू-कानून के लिए सीएम धामी विधानसभा सत्र में खुद आगे आए और उन्होंने सदन के भीतर से ही भू कानून पर अपने विचार रखे. उन्होंने खुद इस बात को स्वीकारा कि उत्तराखंड में एक सशक्त भू-कानून होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने पहल करते हुए एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की और सरकार ने सख्त भू-कानून के लिए एक्सरसाइज शुरू कर दी है.
घोषणाओं को पूरी करने की मुहिम: मुख्यमंत्री बनने के बाद भले ही सबसे ज्यादा पुष्कर सिंह धामी से यह सवाल किया गया कि आपके पास समय ही कितना है? आप क्या कर लेंगे? लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने इन सवालों को जवाब देने से बेहतर अपने काम के जरिए जवाब देना बेहतर समझा.
जो लोग सवाल करते थे कि सीएम धामी के सामने सीमित समय की बड़ी चुनौती है. वही लोग आज यह मान रहे हैं कि काम करने के लिए समय की बाध्यता नहीं होती है. कम समय में भी ज्यादा काम किया जा सकता है, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साबित करके दिखाया है. लगातार सीएम धामी अब मुख्यमंत्री की घोषणाओं की समीक्षा के साथ-साथ उन्हें पूरी रफ्तार के साथ प्रदेश में धरातल पर भी उतार रहे हैं.