ऋषिकेश:कोरोना का बाद अब उत्तराखंड में म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले सामने आ रहे है, जिससे लड़ने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. उत्तराखंड सरकार तो ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुकी है. वहीं ऋषिकेश एम्स में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए 100 बेड तैयार किए गए है, जिसमें 10 बेड आईसीयू के हैं.
म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों के समुचित उपचार के लिए एम्स में विशेषज्ञ चिकित्सकों की 2 टीमें गठित की गई हैं. इन टीमों में ईएनटी, न्यूरो, नेत्र, डेंटल और माइक्रोबायोलॉजी के चिकित्सक शामिल हैं. इस बाबत डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में एम्स में म्यूकोरमाइकोसिस के 70 मरीज भर्ती हैं. कोविड पॉजिटिव और कोविड निगेटिव रोगियों को अलग-अलग वार्डों में रखा गया है. म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों की सर्जरी के लिए अलग-अलग ऑपरेशन थिएटर आरक्षित किए गए हैं.
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उन्होंने बताया कि संस्थान में म्यूकोरमाइकोसिस रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसे देखते हुए अस्पताल में 10 आईसीयू बेडों समेत कुल 100 बेडों की व्यवस्था की गई है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए इनमें अधिकांश बेड कोविड पॉजिटिव मरीजों के लिए आरक्षित हैं.
म्यूकोरमाइकोसिस ट्रीटमेंट टीम के हेड और ईएनटी विभाग के सर्जन डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि शुगर के मरीजों को इस बीमारी से विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है. बिना चिकित्सकीय सलाह के स्टेरॉयड का सेवन शुगर वाले कोविड मरीजों के लिए बेहद नुकसानदायक है.
क्या है म्यूकोरमाइकोसिस
- म्यूकोरमाइकोसिस एक दुर्लभ तरह का फंगस है.
- यह नाक के द्वारा चोट से आए घाव और खरोंच के जरिए शरीर में ज्यादा तेजी से फैलता है.
- कमजोर इम्यूनिटी वालों में म्यूकर माइकोसिस के लक्षण ज्यादा देखने को मिलते है.
एम्स में म्यूकोरमाइकोसिस ट्रीटमेंट टीम के हेड व ईएनटी सर्जन डॉ. अमित त्यागी के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज जिसका शुगर लेवल नियंत्रण में नहीं है, उन्हें इस बीमारी से ज्यादा खतरा है. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर इस फंगस को तेजी से पनपने का मौका मिलता है और रोगी जल्दी ही गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है.
कितनी खतरनाक है यह बीमारी?