देहरादून:साल 2021 उत्तराखंड के लिहाज से काफी महत्वूपूर्ण रहा. इस साल प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं घटीं जिन पर न केवल राष्ट्रीय बल्कि इंटरनेशल मीडिया की नजरें भी टिकी रहीं. चुनावी साल से पहले का साल होने के कारण भी 2021 चर्चाओं में रहा. राजनीतिक घटनाक्रम हो या फिर बड़े नेताओं के दौरे, सभी कारणों से ये साल सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों की सुर्खियों में रहा. अब जब हम सभी नये साल में प्रवेश करने जा रहे हैं तो आइये ऐसे में साल 2021 की उन सब बड़ी खबरों पर नजर डालते हैं जो उत्तराखंड में सुर्खियों में शामिल रहीं.
- रैंणी आपदा का खौफनाक मंजर
इस साल सात फरवरी को चमोली जिले में आई रैंणी आपदा की खौफनाक यादों से अब तक राज्यवासी उबर नहीं पाए हैं. रैंणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर बनी एक पनबिजली परियोजना सात फरवरी को आई आपदा में पूरी तरह तबाह हो गयी थी. इस आपदा में 122 लोग मारे गये थे, जबकि कई लोग लापता हो गये थे. बताया जाता है कि चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा का जल स्तर बढ़ गया था. रफ्तार से आए पानी और पत्थरों ने ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और NTPC के प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया था. आपदा की जानकारी मिलते ही तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद मौके पर पहुंचे थे. जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय भी इस मामले पर नजर बनाये हुए था.
यहां राहत और बचाव कार्य के लिए SDRF, NDRF, ITBP के अलावा आर्मी ने अपने 600 जवान चमोली भेजे. इसके अलावा वायुसेना के Mi-17 और ध्रुव समेत तीन हेलिकॉप्टर रेस्क्यू मिशन पर रहे. वायुसेना के C-130 सुपर हरक्यूलिस विमान राहत सामग्री लेकर देहरादून पहुंचे थे. तपोवन की NTPC स्थित टनल में फंसे वर्कर्स को निकालने के अलावा एरियल सर्वे से भी लोगों की तलाश की गई. रैणी गांव के लापता लोगों को ढूंढने के लिए महीनों राहत बचाव कार्य चला. इस दौरान चमोली जिले का रैंणी गांव मीडिया का सेंटर बन गया था.
- सुर्खियों में छाई रही जंगलों की आग
हर साल की तरह इस साल भी उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग देश ही बल्कि विदेशों में भी सुर्खियों में छाई रही. उत्तराखंड के जंगल इस बार भी धू-धू कर जले. जंगलों में लगी आग इतनी भीषण थी कि उत्तराखंड सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी. जिसके बाद आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर तैनात किए गए. उत्तराखंड में पिछले सीजन के मुकाबले इस बार जंगलों में आग लगने के मामले साढ़े 4 गुना तेजी से बढ़े. उत्तराखंड में जो जिले सबसे ज्यादा आगजनी से प्रभावित हैं.
उनमें नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर जिले शामिल रहे. इस बार एक अप्रैल से लेकर पांच अप्रैल तक ही कुल 261 मामले सामने आ गये थे. जिसमें 413 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गये थे. वन विभाग ने तब 8.37 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया. प्रदेश के जंगलों में इस बार सर्दियों में ही आग लगनी शुरू हो गई थी. एक अक्टूबर से लेकर पांच अप्रैल तक करीब 1400 हेक्टेयर जंगल आग के हवाले हुए. जंगल की आग के मामले भी 1100 से अधिक हुए. प्रदेश में वन विभाग ने जंगल की आग पर नियंत्रण पाने के लिए करीब 1313 क्रू स्टेशन बनाये. कैंपा से करीब 2000 फायर किट उपलब्ध कराई गईं. वन प्रभागों को अतिरिक्त 180 करोड़ रुपये जारी किए गए.
- एक साल में तीन सीएम
साल 2021 में उत्तराखंड में राजनीतिक उठा-पटक देखने को मिली. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यहां एक साल में तीन सीएम दिये. पार्टी को इस साल 2 बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा. इस साल भाजपा ने सबसे पहला उलटफेर मार्च के महीने में किया. तब पार्टी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उनके पद से हटाने का फैसला किया. 9 मार्च 2021 को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद 10 मार्च, 2021 को पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन संवैधानिक बाध्यता के चलते 2 जुलाई को तीरथ सिंह रावत ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया.
सर्वे में पिछड़ गए तीरथ: पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा के आंतरिक सर्वे में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की परफॉर्मेंस ठीक नहीं थी. ऐसे में यदि उनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव में जाती तो उसको नुकसान हो सकता था. ऐसा पार्टी की ओर से कराए गए आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया था. बताया जा रहा है कि ऐसे में पार्टी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती थी. जिसके कारण तीरथ को भी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा.
तीरथ सिंह रावत के बाद में भाजपा ने युवा चेहरे तौर पर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया.धामी को कमान देकर बीजेपी ने बड़ा संदेश दिया. साथ ही विपक्षी दलों के सियासी गणित को भी इससे बीजेपी ने बिगाड़ा. पुष्कर सिंह धामी खटीमा से दो बार के बीजेपी विधायक हैं. पुष्कर सिंह धामी का जन्म पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ था. लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट और इंडस्ट्रियल रिलेशंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. पुष्कर सिंह धामी एबीवीपी के यूपी प्रदेश महासचिव भी रहे. 2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद वह सीएम भगत सिंह कोश्यरी के ओएसडी रहे. 2002 से 2008 तक दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे.
- तीरथ सिंह के विवादित बयानों ने बटोरी सुर्खियां
इस साल भाजपा ने 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. जिसके बाद तीरथ सिंह रावत अचानक सुर्खियों में आ गये. अपने कुछ ही महीनों के कार्यकाल में तीरथ सिंह ने ऐसे-ऐसे बयान दिये जिसके कारण वे सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे. आइये आपको तीरथ सिंह रावत के कुछ ऐसे ही बयानों से रू-ब-रू करवाते हैं.
- फटी जींस के बयान पर तीरथ सिंह रावत खूब घिरे थे. तब तीरथ सिंह रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि 'आजकल लड़के घुटना फाड़ कर ही अपने आपको बड़ा समझते हैं. लड़कियां भी अब उनकी तरह फटी हुईं जींस से घुटने दिखाती हैं. इस बयान पर उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी.
- तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान राम और कृष्ण से कर दी थी. उन्होंने कहा कि-'जिस तरह से द्वापर और त्रेता युग में भगवान राम व कृष्ण को लोग उनके कामों की वजह से भगवान मानने लगे थे, उसी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आने वाले समय में भगवान राम और कृष्ण की तरह मानने लगेंगे.
- पहले दो विवादित बयान देने के बाद तीरथ सिंह रावत ने एक बार फिर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि- 'जिन्होंने दो बच्चे पैदा किए, उन्हें कम राशन मिला. अगर उन्होंने ज्यादा बच्चे पैदा किए होते तो ज्यादा राशन मिलता. तीरथ सिंह रावत लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण को लेकर बोल रहे थे. इस दौरान सीएम ने कहा कि कम बच्चे पैदा करना किसकी गलती है'.
- इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि- 'भारत ने दो सौ साल अमेरिका की गुलामी की. जिस पर हरीश रावत ने जमकर चुटकी ली थी. हरदा ये तक कह दिया था, धन्य हो उनका इतिहास का ज्ञान'.
- तीरथ सिंह रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान बनारस में कुंभ मेले के आयोजन की बात कह दी थी. इस पर लोगों ने उनकी खूब खिंचाई की. लोगों ने चुटकी लेते हुए कहा कि लेकिन मुख्यमंत्री जी को इतना नहीं पता कि कुंभ मेला चार स्थानों पर लगता है. वो स्थान हैं हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और इलाहाबाद.
उत्तरकाशी में कार्यक्रमों के शिलान्यास के दौरान भी तीरथ सिंह कुछ ऐसा बोल गये जिससे वे सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गये. दरअसल, यहां उन्होंने कहा कि- आजादी के बाद से लोगों को चीनी (Free Sugar After Independence) नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पहली सरकार है जो लोगों को दुख आपदा और कष्ट में चीनी बांट रही है. उन्होंने ऐलान किया था कि 3 महीनों के लिए प्रत्येक परिवार को 2 किलो चीनी कंट्रोल रेट पर दी जाएगी. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई थी.
- हरिद्वार में हुआ भव्य कुंभ का आयोजन
साल 2021 उत्तराखंड में दिव्य और भव्य कुंभ को लेकर भी जाना जाएगा. कोरोना संक्रमण के बीच धर्मनगरी हरिद्वार में आस्था का महाकुंभ हुआ. हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते केवल इसे केवल एक माह की अवधि तक सीमित कर दिया गया था. सामान्य परिस्थितियों में कुंभ तीन माह से भी अधिक समय तक चलता है. इस बार महाकुंभ महामारी के चलते कड़ी पाबंदियों के साथ हुआ. इस बार कुंभ एक अप्रैल से शुरू हुआ. इस दौरान 12, 14 और 27 अप्रैल को केवल तीन शाही स्नान हुए. इस बार महाकुंभ में 70 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई.
इस बार होने वाले कुंभ में ढाई हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए. कोविड मामलों में उछाल के बाद कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रखे जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद भीड़ छंटनी शुरू हो गयी थी. निरंजनी अखाड़ा के बाद जूना अखाड़ा और कई अन्य अखाड़ों ने काफी पहले से ही कुंभ क्षेत्र में अपनी छावनियां खाली कर दी थी और 27 अप्रैल के आखिरी शाही स्नान के लिए उनके केवल कुछ ही साधु बचे थे.
- महाकुंभ में कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़ा