चंपावत:जिले के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त (GIC Sukhidhang Bhojanmata appointment case) किए जाने के बाद छात्र-छात्राओं का भोजन करने से इनकार करने का मामला सामने आया था. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच कर भोजनमाता की नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. अब जल्द विज्ञप्ति जारी कर नए सिरे से भोजनमाता की नियुक्ति की जाएगी.
वहीं, इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी बयान आया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि छात्रों ने चंपावत के एक सरकारी स्कूल में 'भोजनमाता' (रसोइया) द्वारा बनाया गया खाना खाने से इनकार किया है. इसके साथ ही छात्र अपने घरों से खुद का खाना ला रहे हैं. डीआईजी कुमाऊं डॉ नीलेश आनंद भरणे को मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
ये है पूरा मामला: शिक्षा विभाग की जांच में पाया गया कि पहले सामान्य जाति की महिला की नियुक्ति होनी थी. बाद में अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त कर दिया गया. इससे विवाद पैदा हो गया. विद्यालय (Govt Inter College Sukhidhang champawat) में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और पीटीए की ओर से पहले परित्याग महिला पुष्पा भट्ट को भोजनमाता नियुक्त किया गया था. इससे पहले कि पुष्पा भट्ट कार्यभार लेतीं विद्यालय प्रशासन ने अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त कर उसे कार्यभार भी सौंप दिया. इससे पीटीए अध्यक्ष नरेश जोशी और अभिभावक नियुक्ति के खिलाफ खड़े हो गए. वहीं अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता बनाए जाने से सवर्ण जाति के बच्चों ने स्कूल में उसके हाथ का बनाया भोजन खाना बंद कर दिया था.
मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासन में खलबली मच गई थी. जांच बैठाई गई. जांच एडी बेसिक अजय नौटियाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित और बीईओ अंशुल बिष्ट ने की. मामले की जांच कर रहे चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आर सी पुरोहित ने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने और अभिलेखों की जांच में भोजनमाता की नियुक्ति अवैधानिक पाई गई है. इस पर नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि अब जल्द नए सिरे से विज्ञप्ति जारी कर भोजनमाता की नियुक्ति होगी.