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चंपावत उपचुनाव 2022: CM धामी की जीत के ये रहे प्रमुख फैक्टर, ऐसे मारी बाजी - Champawat byelection result

चंपावत उपचुनाव में वैसे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीत पहले से ही पक्की मानी जा रही थी, लेकिन कुछ प्रमुख कारण भी थी, जिन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस जीत को और मजबूत कर दिया. इन्हीं प्रमुख फैक्टर पर डालते हैं एक नजर.

सीएम धामी
सीएम धामी

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Published : Jun 3, 2022, 3:52 PM IST

Updated : Jun 3, 2022, 4:21 PM IST

देहरादून: चंपावत की जनता ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सिर पर जीत का सेहरा बांध दिया है. चंपावत उपचुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी की जीत के साथ ही उत्तराखंड में नया इतिहास जुड़ गया है. उपचुनाव में उनकी जीत तो पहले से ही तय थी, लेकिन सीएम के लिए जीत से ज्यादा रिकॉर्ड के मायने थे और रिकॉर्ड जीत के लिए टीम धामी ने मजबूती से काम किया. चंपावत उपचुनाव में 55 हजार से अधिक वोटों से जीत नया कीर्तिमान रचा है. इसी के साथ हम आपको मुख्यमंत्री की जीत के बड़े कारण भी बताने जा रहे हैं.

पार्टी ने इस चुनाव को हल्के में नहीं लिया. यही वजह रही कि अब तक कोई मुख्यमंत्री उपचुनाव में इतने मतों से नहीं जीता है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चंपावत आकर प्रचार को धार दी है. एक नजर डालते हैं मुख्यमंत्री जीत के मुख्य कारणों पर.

पढ़ें-चंपावत उपचुनाव: धामी की 55,025 वोटों से धमाकेदार जीत, कांग्रेस की जमानत जब्त, PM ने दी बधाई

पहला कारण प्रत्याशी का सीएम होना: चंपावत उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी पुष्‍कर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी हैं. पांचवीं विधानसभा के लिए विगत 14 फरवरी को हुए चुनावों में भाजपा ने बहुमत प्राप्‍त किया था. पुष्‍कर सिंह धामी खटीमा सीट से पराजित हुए थे, लेकिन उनके नेतृत्‍व में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. इसलिए उन्‍हें दोबारा मुख्‍यमंत्री बनाया गया. तभी से उपचुनाव में उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही थी.

प्रदेश को मिला युवा सीएम: पुष्‍कर सिंह धामी युवा नेता और युवा मुख्‍यमंत्री के रूप में उत्तराखंड की जनता के बीच में खासे प्रचलित हैं और पांचवीं विधानसभा के लिए हुए चुनावों में चंपावत सीट पहले से ही भाजपा के कब्‍जे में थी. इसलिए भी उनकी जीत निश्चित मानी जा रही थी.
पढ़ें-विकास कार्यों से लौटाऊंगा जनता का आशीर्वाद, चंपावत की जीत पर बोले CM धामी

कांग्रेस का कमजोर प्रत्याशी:सीएम धामी की जीत के यूं तो कई मुख्य कारण रहे, लेकिन इसमें एक सबसे बड़ी वजह कमजोर विपक्ष भी रहा. चंपावत उपचुनाव प्रचार शुरू होने से मतदान निपटने तक कांग्रेस के 90 प्रतिशत वरिष्ठ कार्यकर्ता नदारद थे. इसके लिए सब ने कई बहाने बनाए. कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी भी इस रवैया से आहत हुई.

केंद्रीय नेताओं के बीच अच्छी छवि होना:मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की छवि केंद्रीय नेताओं के बीच अच्‍छी मानी जाती है. उत्तराखंड में अपने दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेता उनकी तारीफ कर चुके हैं. पीएम मोदी ने तो एक रैली के दौरान सीएम धामी की पीठ भी थपथपाई थी. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फायर बताया था.

सहानुभूति वोट:फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में पुष्‍कर सिंह धामी खटीमा सीट से हार गए थे. चंपावत उपचुनाव में मिली जीत को खटीमा में मिली हार की सहानुभूति से भी जोड़कर देखा जा रहा है. साल 2012 के उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 53,766 वोट लाकर सितारगंज सीट 39,966 वोटों से जीती थी. वहीं, चंपावत सीट पर सबसे बड़ी जीत 2017 में भाजपा के कैलाश गहतोड़ी की 17360 वोटों से रही.

उत्तराखंड में सीएम के उपचुनाव पर नजर

बता दें कि वर्ष 2012 के उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 53766 वोट लाकर सितारगंज सीट 39966 वोटों से जीती थी. वहीं चंपावत सीट पर सबसे बड़ी जीत 2017 में भाजपा के कैलाश गहतोड़ी की 17360 वोटों से रही .

Last Updated : Jun 3, 2022, 4:21 PM IST

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