खटीमा: टनकपुर तहसील के खेतखेड़ा के काश्तकार परेशान हैं. काश्तकारों की परेशानी ये है कि उनके खेतों तक पानी सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है. जिससे उन्हें खेती करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि खेतखेड़ा गांव में काफी पुरानी नलकूप की गूलें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं. जिससे काश्तकारों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. काश्तकारों को खेती के लिए हर समय पानी की जरूरत रहती है, लेकिन गूलों की बदहाली से किसान परेशान और आक्रोशित हैं.
सिंचाई व्यवस्था का हाल बेहाल. ये भी पढ़ें: उत्तराखंड : नैनीताल की पहाड़ियों में मिली 200 मीटर लंबी भूमिगत झील, जानें क्यों है खतरा
दरअसल, खेतखेड़ा में नलकूप की सिंचाई गूलें लगभग 20 साल पुरानी होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गई हैं. इसके अतिरिक्त ये क्षेत्र हाथी बाहुल्य क्षेत्र है जो हर साल गूलों को नुकसान पहुंचाते थे. लेकिन पिछले साल वन विभाग द्वारा हाथियों के आवागमन को रोकने के लिए फेंसिंग तार लगाया था. जिसके बाद हाथी तो नहीं आते, लेकिन जो गूलें क्षतिग्रस्त हो चुकी थीं, उस पर सिंचाई विभाग ने ध्यान नहीं दिया. जिससे काश्तकारों को सिंचाई के पानी के लिए काफी परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है.
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खेतखेड़ा के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह बोरा ने बताया कि नलकूप की सिंचाई गूलें क्षतिग्रस्त होने के कारण लीकेज होता है. जिससे पानी खेतखेड़ा तक नहीं पहुंच पाता है. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को इसके बारे में मौखिक रूप से अवगत कराया गया है. विभाग ने गूलों का मरम्मत कार्य कराने का भरोसा भी दिलाया है. वहीं स्थानीय ग्रामीण रघुवीर सिंह ने बताया कि लंबी दूरी और गूलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण हमें सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है. हमें ट्यूबेल से लगभग डेढ़ 100 रुपए प्रति घंटा पानी लेना पड़ता है.
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वहीं, एई जितेंद्र कुमार का कहना है कि खेतखेड़ा के काश्तकारों से वार्ता हुई है. खेतखेड़ा में पानी थ्वालखेड़ा से जाता है, जिसके मध्य बीच काफी दूरी है और पानी का रिसाव होता है. गूलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण खेतखेड़ा में पानी नहीं पहुंच पाता है. उन्होंने बताया कि यदि ग्रामीणों द्वारा लिखित रूप से मांग की जाती है तो वे अग्रिम कार्रवाई करेंगे.