चंपावत: रक्षाबंधन के अवसर पर उत्तराखंड के चंपावत देवीधुरा स्थित मां बाराही धाम में बग्वाल खेली गई. बीते 2 वर्षों से कोविड महामारी के चलते सांकेतिक रूप से ही इस मेले का आयोजन हो रहा है. इस बार भी सांकेतिक रूप से ही बग्वाल खेली गई. मंदिर समिति व प्रशासन की ओर से इस बार भी कोविड गाइडलाइन के पालन पर जोर दिया गया.
बाराहीधाम देवीधुरा में इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध बग्वाल युद्ध करीब आठ मिनट तक चला. इस दौरान चार खाम और सात थोकों के रणबांकुरों में से 77 बग्वाली वीर चोटिल हो गए. कोरोना महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी दर्शकों की संख्या बेहद कम रही. बग्वाल युद्ध में 300 से अधिक रणबांकुरों ने प्रतिभाग किया. सुबह दस बजे सबसे पहले गहरवाल खाम के योद्धाओं ने बाराही मंदिर की परिक्रमा की.
उसके बाद लमगडिया खाम के योद्धा मंदिर पहुंचे. जबकि बालिक और चम्याल खाम के योद्धा सबसे अंत में मंदिर की परिक्रमा को पहुंचे. चारों खामों के मंदिर परिसर में स्थित खोलीखांड दुर्बाचौड़ मैदान में पहुंचने के बाद मंदिर के पुजारी के संकेत के बाद बग्वाल युद्ध शुरू हो गया.
मान्यता है कि पुराने जमाने मे यहां नरबलि दिए जाने की प्रथा थी, जो समय के साथ पत्थर युद्ध में तब्दील हो गई. पारंपरिक पूजा के बाद मंदिर के पुजारी का आदेश मिलते ही फल और फूलों से युद्ध शुरू हो गया और करीब आठ मिनट तक खेला गया.