चमोली:पहाड़ी जिलों में हमेशा से ही लोगों को सड़क, स्वास्थ्य जैसी जरूरी सेवाओं के लिए हमेशा ही संघर्ष करना पड़ा है. अगर बात संघर्ष से कुछ आगे निकल जाये तो ये सेवाएं नेताओं के वादों, घोषणाओं में आकर लटक जाती हैं. अगर इनसे भी बात आगे बढ़ जाये तो फाइल, बजट और ऐसे न जाने कितनी चीजें हैं, जिनसे गुजरते हुए ये सेवाएं,योजवनाएं दम तोड़ देती हैं. ऐसी ही मामला घाट-नंदप्रयाग मोटरमार्ग के डामरीकरण और चौड़ीकरण की भी है. जो दो-दो मुख्यमंत्रियों की घोषणाओं के बाद भी आजतक पूरा नहीं हो पाया है.
बता दें कि जिले के घाट-नंदप्रयाग को जोड़ने वाली 19 किमी. लंबे मोटरमार्ग के डामरीकरण और चौड़ीकरण का काम इतने सालों बाद भी जहां का तहां लटका है. लोक निर्माण विभाग कर्णप्रयाग के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार नैथानी ने बताया कि यह मोटरमार्ग डेढ़लाइन के मानकों को पूरा नहीं कर पाया है. जिसके कारण ये अब तक नहीं बन पाया है. हालांकि, विभाग का कहना है कि इसके लिए करीब 24 करोड़ लागत की डीपीआर तैयार की जा चुकी है, जिसे जल्द ही शासन को भेजा जाएगा.
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चमोली जिले के 70 से अधिक गांवों को यातायात सुविधा देने वाला नंदप्रयाग-घाट मोटरमार्ग जिले के उन पुराने मोटर मार्गों में से एक है जो 70 के दशक में बनकर तैयार हो चुके थे. इस सड़क की स्थिति आज खस्ताहाल है. जगह-जगह पर गड्ढे, दरकती पहाड़ियां, भूस्खलन आये दिन यहां हादसों को न्यौता देते रहते हैं. घाट विकासखंड को बाहरी दुनिया से जोड़ने वाला यह एकमात्र मोटरमार्ग है. जिसकी उपयोगिता को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सड़क के डामरीकरण और चौड़ीकरण की घोषणा की थी.
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