चमोलीःदशोली विकासखंड के सैकोट गांव में ढोल-दमाऊ और जागर गीतों के साथ ग्रामीणों ने धान की अंतिम रोपाई की, जो आने वाली पीढ़ी के लिए यादगार बन गई है. इस दौरान महिलाओं की आंखें छलक गईं और अपनी भूमि से बिछुड़ने का दर्द महसूस किया.
दरअसल, सैकोट गांव में चारधाम रेलवे प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ और बदरीनाथ के लिए मुख्य रेलवे स्टेशन का निर्माण होना है. जिसके लिए रेलवे की ओर से गांव की 200 के अधिक नाली भूमि अधिग्रहित की गई है. ग्रामीणों का मानना है कि आगामी वर्ष से रेलवे स्टेशन का कार्य शुरू होने की वजह से गांव के खेतों में धान की रोपाई होना मुश्किल है. जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने गांव की अंतिम धान की रोपाई को यादगार बना दिया.
ये भी पढ़ेंःहुड़कियां बौल पर हुई धान की रोपाई, लोकसंस्कृति को जिंदा रखने का प्रयास
पलायन के छाया से दूर सैकोट गांव
चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर सैकोट गांव स्थित है. गांव में मौजूदा समय में करीब 150 परिवार निवास करते हैं. ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि व पशुपालन है, जिससे इस गांव पर आज तक पलायन की छाया तक नहीं पड़ी है. गांव में आवासीय मकानों के आसपास ही दूर-दूर तक फैले बड़े-बड़े खेत हैं. हर साल ग्रामीण बड़े उल्लास के साथ अपने इन खेतों में धान की रोपाई करते हैं. रोपाई की तैयारी भी एक महीने पहले से ही शुरू कर दी जाती है.
धान की बिज्वाड़ को सामूहिक तरीके से लगाने की है परंपरा
धान की बिज्वाड़ (धान के पौधे) की निराई-गुड़ाई के लिए गांव की सभी महिलाएं एकजुट हो जाती हैं. इस साल की धान की रोपाई ग्रामीणों के लिए खास बन गई. ग्रामीणों ने सुबह से ही खेतों में पानी लगाया और बेलों की जोड़ी के साथ ही ढोल-दमाऊ भी लेकर खेतों में पहुंचे. महिलाओं ने जीतू बगड़वाल के जागरों के साथ धान की रोपाई की.