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आज से पर्यटकों के लिए खुल गई फूलों की घाटी, ऐसे करें 500 प्रजातियों के पुष्पों का दीदार

प्रकृति के अनगिनत रहस्यों से भरी, रोमांचक और खूबसूरत फूलों की घाटी (Valley of Flowers) आज 1 जून से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है. यह वो जगह है, जहां रिसर्च, आध्यात्म, शांति और प्रकृति (Research, Spirituality, Peace and Nature) को करीब से जानने का अद्भुत मौका मिलता है. यह घाटी ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. नैसर्गिक सुंदरता का अवलोकन करने आप भी यहां अवश्य आएं.

Valley of Flowers
फूलों की घाटी

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Published : May 31, 2022, 10:24 PM IST

Updated : Jun 1, 2022, 5:33 PM IST

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी आज पर्यटकों को खोल दी गई है. पार्क प्रशासन ने 4 किमी पैदल मार्ग की मरम्मत के साथ रास्ते पर 2 पैदल पुल का निर्माणकार्य भी पूरा कर दिया है. इस साल फूलों की घाटी में 12 से अधिक प्रजाति के फूल समय से पहले खिल गए हैं. फूलों की घाटी को 2004 में यूनेस्को ने विश्व प्राकृतिक धरोहर घोषित किया था.

87.5 किमी में फैली घाटी जैव विविधता का खजाना है. यहां पर दुर्लभतम प्रजाति के फूल, पशु पक्षी, जड़ी बूटी और वनस्पतियां पाई जाती हैं. यह दुनिया की इकलौती जगह है जहाँ पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं. हर साल हजारों देशी विदेशी पर्यटक घाटी का दीदार करने आते हैं. फूलों की घाटी की यात्रा को लेकर वन विभाग ने कमर कस ली है. आज 1 जून को घांघरिया स्थित फूलों की घाटी गेट से पर्यटक फूलों की घाटी में प्रवेश करेंगे.

आज से पर्यटकों के लिए खुल गई फूलों की घाटी.

विश्व धरोहर स्थल में शामिल: चमोली स्थित फूलों की घाटी को देखकर ऐसा लगता है, जैसे किसी ने खूबसूरत पेंटिंग बनाकर यहां रख दी हो. चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे पर्वत और उन पर्वतों के ठीक नीचे यह फूलों की घाटी प्रकृति का मनोरम दृश्य है. यहां घूमने के लिए विदेशियों और भारतीय पर्यटकों से अलग-अलग शुल्क लगता है.

घांघरिया से करीब एक किलोमीटर के दायरे में वन विभाग की चौकी मिलती है, यहीं से फूलों की घाटी शुरू होती है. यहीं पर शुल्क जमा होता है. यहां जाएं, तो कोई परिचय पत्र अवश्य साथ रखें. घांघरिया तक खच्चर भी मिलते हैं. गोविंद घाट पर सस्ते प्लास्टिक रेनकोट भी उपलब्ध हो जाते हैं. यहां गाइड भी उपलब्ध हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी करीब 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. 1982 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था. यहां 500 से अधिक दुर्लभ फूलों की प्रजातियां मौजूद हैं.

पढ़ें: बैग पैक करिए और चलिए उत्तराखंड, 1 जून से खुल रही है फूलों की घाटी

रामायण काल से मौजूदगी: फूलों की घाटी के बारे में कई तरह की जानकारियां किताबों और इंटरनेट पर मौजूद है. वहीं, मान्यता है कि यहीं से भगवान हनुमान लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी ले गए थे. क्योंकि इस जगह पर इतने पुष्प और जड़ी बूटी मौजूद हैं, जिसकी पहचान करना भी मुश्किल है. लिहाजा कई लोग इसे रामायण काल से भी जोड़ कर देखते हैं.

ब्रिटिश पर्वतारोहियों ने की थी खोज: इस घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्डसवर्थ ने की थी. बताया जाता है कि वह अपने एक अभियान से लौट रहे थे. साल 1931 का वक्त था, जब वह यहां की खूबसूरती और फूलों को देख कर इतने अचंभित और प्रभावित हुए कि कुछ समय उन्होंने यहीं पर बिताया. इतना ही नहीं वह यहां से जाने के बाद एक बार फिर से 1937 में वापस लौटे और यहां से जाने के बाद एक किताब भी लिखी, जिसका नाम वैली ऑफ फ्लावर रखा.

जुलाई-अगस्त में आना होगा बेहतर: फूलों की घाटी 3 किलोमीटर लंबी और लगभग आधा किलोमीटर चौड़ी है. यहां पर आने के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर महीना सबसे बेहतर रहता है. चारधाम यात्रा पर अगर आप आ रहे हैं तो बदरीनाथ धाम जाने से पहले आप यहां पर आ सकते हैं. राज्य सरकार की तरफ से गोविंदघाट में रुकने की व्यवस्था है, लेकिन आप यहां पर रात नहीं बिता सकते हैं. लिहाजा आपको शाम ढलने से पहले आपको पार्क से लौटना ही पड़ेगा.

Last Updated : Jun 1, 2022, 5:33 PM IST

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