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उत्तराखंड बजट 2020: जानिए कहां से आता और कहां जाता है राज्य का पैसा - उत्तराखंड सरकार बजट 2020

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण में 53,526 करोड़ रुपये का बजट पेश किया. सीएम त्रिवेंद्र ने इसे नई आशाओं, आकांक्षाओं का बजट बताया.

Uttarakhand Budget 2020
सीएम त्रिवेंद्र ने पेश किया 2020-21 का बजट

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Published : Mar 4, 2020, 6:19 PM IST

Updated : Mar 4, 2020, 6:36 PM IST

देहरादून:सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण में 2020-21 का बजट पेश कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 53,526 करोड़ का रुपये का बजट पेश करते हुए सीएम त्रिवेंद्र ने इसे नई आशाओं, आकांक्षाओं का बजट बताया है. उन्होंने कहा कि विभागों में आधारभूत ढांचे को मजबूत करना जरूरी है.

उत्तराखंड सरकार 20-20 विजन के साथ काम कर रही है, ताकि जनकल्याण के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके. त्रिवेंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 53,526 करोड़ का रुपये का बजट पेश किया. लेकिन उसके लिए बुनियादी विकास के लिए धन जुटाना हमेशा की तरह चुनौतीपूर्ण रहेगा.

अभी तक प्रदेश सरकार का आधा बजट कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और भत्तों के साथ ही पुराने कर्ज के ब्याज चुकाने पर खर्च हो रहा है. तमाम उपायों के बावजूद ये खर्च सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है. नतीजा यह है कि सरकार के पास सड़क, पानी, स्वास्थ्य, रोजगार, बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने के लिए पैसे ही नहीं है. राज्य में प्रतिव्यक्ति आय एक लाख 98 हजार 738 है. वहीं कृषि और खनन में ग्रोथ रेट नेगेटिव है.

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कितना पैसा आता है

कहां से आता है बजट का पैसा

राज्य सरकार टैक्स के रूप में बजट का 26.02 प्रतिशत रुपये एकत्र करती है. नॉन टैक्स रेवेन्यू के जरिए सरकार 6.69 प्रतिशत रकम जुटाती है. केंद्रीय करों के राज्यांश से सरकार को 16.37 प्रतिशत रकम मिलती है. केंद्रीय सहायता के अनुदान के तहत सरकार को 31.17 प्रतिशत अनुदान केंद्र सरकार से मिलता है. ऋणों एवं अग्रिम वसूली के जरिए सरकार 0.07 प्रतिशत रकम जुटाती है और लोक ऋण के जरिए 18.81 प्रतिशत की रकम वसूलती है.

कहां जाता है बजट

भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की राज्य के वित्त पर दी गई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-17 में प्रदेश सरकार ने वेतन, पेंशन और पुराने कर्ज की ब्याज अदायगी पर 16,464 करोड़ रुपये खर्च किए. वित्त विभाग के आंकड़ों के हिसाब 2016-17 में प्रदेश सरकार के बजट का आकार 35,609 करोड़ रुपये का था. यानी बजट के अनुपात में केवल वेतन, पेंशन ब्याज का खर्च 46.23 प्रतिशत था. 2019-20 में ये बढ़कर 57 फीसदी के पार पहुंच चुका है. राज्य सरकार के आंकड़ों के हिसाब से एजी ने 2020-21 में सिर्फ वेतन खर्च का ही जो अनुमान लगाया है वह 16,960 करोड़ रुपये है. यदि सरकार कोई उपाय नहीं करती है तो इसके 2021-22 तक बढ़कर 18,826 करोड़ पहुंचने के आसार हैं.

कहां खर्च होता है रुपया

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मौजूदा वर्ष में वेतन, भत्ते, मजदूरी में कुल बजट का 30.89 प्रतिशत खर्च होता है. निवेश ऋण के लिए सरकार 7.50 प्रतिशत का भुगतान कर रही है. सहायक अनुदान, अंशदान और राज्य सहायता के रूप में बजट का कुल 7.19 प्रतिशत खर्च कर रही है. पेंशनरों और आर्थिक मदद के रूप में सरकार बजट का 13.60 रुपये खर्च कर रही है. निर्माण और सुरक्षा के लिए राज्य सरकार बजट का 13.35 प्रतिशत खर्च कर रही है, जबकि अन्य खर्चों के लिए 16.47 रुपये खर्च कर रही है.

Last Updated : Mar 4, 2020, 6:36 PM IST

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